कांग्रेस से अंसतुष्ट पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने बीते दिनों भाजपा का दामन थाम लिया था। अब कयास लगाया जा रहा है कि जल्द ही वह उत्तर प्रदेश की योगी सरकार में कैबिनेट का हिस्सा बन सकते हैं। दिल्ली में सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की पीएम नरेंद्र मोदी, जेपी नड्डा और अमित शाह से मुलाकातों के बाद अब इस बात की चर्चा और तेज हो गयी है।
दरअसल उत्तर प्रदेश में जुलाई माह में विधान परिषद के 6 सदस्यों की सीटें खाली हो रही हैं। अनुमान लगाया जा रहा है कि बीजेपी, जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) को सदन में भेज सकती है और योगी कैबिनेट का हिस्सा बना सकती है। यह कयास इसलिए भी लगाया जा रहा है क्योंकि उनके बीजेपी में शामिल होने के तत्काल बाद बाद गृह मंत्री अमित शाह, राजनाथ सिंह और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) जैसे दिग्गज नेताओं ने ट्वीट कर कहा था कि जितिन प्रसाद के भाजपा में शामिल होने से उत्तर प्रदेश में पार्टी को फायदा मिलेगा।
पीयूष गोयल ने गिनाया योगदान
बता दें कि पार्टी में शामिल होने के दौरान भी रेल मंत्री पीयूष गोयल ने यूपी की राजनीति में जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) के योगदान को गिनाया था। वहीं राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सरकार पर ब्राह्मणों की उपेक्षा के आरोप लगते रहे हैं जिसके चलते ब्राह्मण बिरादरी में बीजेपी के पार्टी असंतोष व्याप्त हैं। इसी को देखते हुए अब बीजेपी जितिन प्रसाद जैसे ब्राह्मण नेता को पार्टी में शामिल कर इस अगड़ी बिरादरी को साधने का प्रयास कर सकती है। गुरुवार को दिल्ली में मंथन के लिए पहुंचे यूपी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) से जितिन प्रसाद ने मुलाकात की थी जिसकी तस्वीर भी उन्होंने ट्विटर पर साझा की है।
योगी से की शिष्टाचार मुलाकात
सीएम योगी से मिलने के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद (Jitin Prasad) ने ट्वीट किया, ‘आज दिल्ली प्रवास के दौरान मेरे गृह प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ से भाजपा परिवार में शामिल होने के बाद प्रथम शिष्टाचार मुलाकात हुई।’ कयास लगाया जा रहा है कि जितिन प्रसाद के साथ ही पूर्व आईएएस और हाल ही में एमएलसी बने एके शर्मा को भी योगी सरकार में एंट्री मिल सकती है। अरविंद कुमार शर्मा उत्तर प्रदेश के मूल निवासी लेकिन गुजरात काडर के आईएएस रहे हैं। नौकरी के दौरान करीब बीस साल उनकी गिनती नरेंद्र मोदी के विश्वासपात्र अफसरों में होती रही। वह गुजरात से लेकर दिल्ली तक उनके साथ रहे। इसी साल जनवरी में उन्हें वीआरएस देकर यूपी के विधानपरिषद में भेज दिया गया, तभी से उनकी भूमिका को लेकर चर्चाओं का दौर जारी है।