Breaking News

मंगल दोष बेअसर करने के लिए कल करें ये खास उपाय !

हर माह के शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को प्रदोष का व्रत रहा जाता है. माघ मास की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी 9 फरवरी को पड़ रही है. मंगलवार के दिन प्रदोष होने के कारण इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाएगा. ये दिन भगवान शिव को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान शिव की विधि विधान से कर्जों से मुक्ति मिलती है. साथ ही भगवान शिव की कृपा से भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूर्ण होती है. व्रती को इस लोक में धन-धान्य, पुत्र, सौभाग्य और संपत्ति सब कुछ प्राप्त होता है.

ये भी कहा जाता है कि अगर भौम प्रदोष के दिन कुछ विशेष उपाय किए जाएं तो मंगल दोष से जुड़ी तमाम समस्याओं से छुटकारा मिलता है. बता दें कि कुंडली में अगर मंगल दोष हो तो विवाह में काफी देरी होती है और अगर शादी हो चुकी हो तो वैवाहिक जीवन में पति-पत्नी के स्वास्थ्य और प्रेम संबन्धों पर बुरा असर पड़ता है. यहां जानिए मंगल दोष बेअसर करने के कुछ उपायों के बारे में.

1. हनुमान बाबा को 11वें रुद्रावतार कहा जाता है. भौम प्रदोष के दिन से शुरू करके 11 मंगलवार तक हनुमान बाबा को चमेली के तेल में सिंदूर डालकर चोला चढ़ाएं. इसके बाद सुंदरकांड का पाठ करें और उनका पसंदीदा भोग लगाएं. इसके बाद भगवान से कष्टों को दूर करने की प्रार्थना करें.

2. महादेव की विधिविधान से पूजा के साथ तांबे के मंगल यंत्र की पूजा करें और ऋणमोचन मंगल स्तोत्र का पाठ करें. ऐसा लगातार कम से कम पांच मंगल तक करें तो काफी राहत मिलेगी.

3. लाल मूंगे का बना गणपति का पेंडेंट भगवान के समक्ष रखें और पूजा करें. साथ ही जीवन में शुभता लाने की प्रार्थना करें और पेंडेंट को पहन लें. धीरे धीरे कई समस्याएं कम होने लगेंगी. भाग्योदय भी होगा.

4. भौम प्रदोष का व्रत रहकर मंगल की शांति करवाएं और संभव हो तो उज्जैन जाकर मंगलनाथ की पूजा करें. इससे आपकी काफी समस्याओं का अंत होगा.

5. भौम प्रदोष व्रत रखकर हनुमान बाबा के मंदिर मेंं लाल रंग का तिकोना झंडा चढाकर भगवान से तमाम संकटों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करें.

महादेव को ये चीजें करें अर्पित

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव को बेलपत्र, भांग, धतूरा, गंगाजल आदि अर्पित करना उत्तम और कल्याणकारी माना जाता है. इस व्रत का पूजन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के बाद के डेढ़ घंटे के अंदर किया जाता है. इस दिन भगवान शिव के मंत्रों का जाप, शिव चालीसा और शिव पुराण का पाठ करना चाहिए.