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भीषण बेरोजगारी के बीच लगातार घटीं सरकारी नौकरियां, तीन साल के सबसे निचले स्तर पहुंची भर्तियां

देश की जनता को रोजगार और नौकरियां देने का वादा मात्र ख्वाब बन कर रह गया है। केन्द्र सरकार और राज्य सरकारें जनता से किये वादे का पूरा करने की स्थिति में नहीं है। अब तक के रोजगार के आंकड़े निराशा ही दे रहे हैं। कोरोना संकट का अर्थव्यवस्था पर असर साफ दिखने लगा है। कोरोना के कारण सरकारी नौकरियों में आई कमी के तौर भी देखा जा सकता है। वित्त वर्ष 2020-21 में केन्द्र और अलग-अलग राज्यों द्वारा की जाने वाली भर्तियां 3 साल के सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं। वर्तमान में रोजगार देने का औसत सबसे निचले स्तर पर पहुंच चुका है। Mint की रिपोर्ट के मुताबिक अगर केन्द्र सरकार की ओर से की जाने वाली भर्तियों की बात की जाए तो 2020-21 में इनमें 27 प्रतिशत की कमी आई है। यह कमी रोजगार के उपलब्धता के आंकड़े को दर्शाती है। वहीं राज्य सरकारों की भर्तियों में इस दौरान 21 फीसदी की कमी आई है।


वित्त वर्ष 2020-21 के दौरान केन्द्र सरकार ने सिर्फ 87,243 लोगों को नौकरी दी गयी जबकि 2019-20 में केन्द्र सरकार ने 119000 नौकरियां दी थीं। इसी तरह राज्य सरकारों ने इस दौरान 389052 भर्तिंयां की जो संख्या में 2019-20 में की गई भर्तियों से 107000 कम हैं। यह सरकारी भर्तियों का पिछले तीन साल का सबसे निचला स्तर है।

तीन साल में सबसे निचले स्तर पर होने का तात्पर्य लोगों का बेरोजगार होना भी है। आंकड़ों के आधार पर ये रिपोर्ट की है। शुरुआत में एनपीएस सिर्फ केन्द्र सरकार के कर्मचारियों के लिए लागू किया गया था। बाद में इसे सभी राज्य सरकारों ने अपनाया और अब देश का कोई भी नागरिक स्वेच्छा से इस स्कीम का लाभ उठा सकता है। वर्तमान में रोजगार पाने और मिलने की स्थिति बहुत ही खराब है।

थिंकटैंक सेंटर फॉर मॉनिटिरिंग इंडियन इकोनॉमी का कहना है कि देश की बेरोजगारी तेजी से बढ़ रही है। देश में बेरोजगारी दर 16 मई को समाप्त सप्ताह में बढ़कर 14.45 फीसदी पर पहुंच गई जबकि इससे पहले 9 मई को समाप्त सप्ताह में ये 8.67 फीसदी थी। माना जा रहा है तेजी से रोजगार के अवसर उपलब्ध नहीं कराये गये तो स्थिति और खराब हो सकती है।