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भारत आ रहे भारतीयों समेत 46 अफगान हिंदू और सिख, साथ में ला रहे तीन श्री गुरु ग्रंथ साहिब

अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां फंसे लोगों को निकालने की कोशिशें जारी है. भारत भी अफगान में फंसे भारतीयों को निकालने के लिए ऑपरेशन चला रहा है. रविवार को काबुल से भारतीय वायुसेना का सी 17 ग्लोबमास्टर प्लेन 168 लोगों को लेकर हिंडन एयरबेस पर उतरा. इसमें 20 से ज्यादा अफगान नागरिक भी शामिल थे. इसके अलावा दो विमानों से अफगानिस्तान से लोग दिल्ली एयरपोर्ट भी आए. करीब 400 लोग एक दिन में अफगानिस्तान से भारत लाए गए. अफगानिस्तान से सोमवार को 46 अफगान हिंदू और सिख को बाहर निकाला गया. इस दौरान वह अपने साथ श्रीगुरू ग्रंथ साहिब को भी लेकर आएं.

काबुल एयरपोर्ट से एक तस्वीर सामने आई, जिसमें तीन सिख श्रीगुरू ग्रंथ साहिब को सिर पर रखे हुए हैं. काबुल के साथ ही पूरे अफगानिस्तान में हालात बद से बदतर है. काबुल के सिख गुरुद्वारे में सन्नाटा है. बीते दिनों तालिबान के लोगों ने सिख गुरुद्वारा कमेटी के लोगों से मुलाकात की थी और कहा था कि हम आपको कुछ नहीं बोलेंगे. हालांकि, तालिबान के लोगों ने साफ कर दिया था कि अब अफगानिस्तान में शरिया का कानून चलेगा और उसे हर धर्म के लोगों को मानना होगा. तालिबान के डर से चाहे मुस्लिम हों, या हिंदू या सिख… सभी लोग अफगानिस्तान छोड़ रहे हैं. सिख अपने पवित्र धर्म ग्रंथ श्री गुरू ग्रंथ साहिब को लेकर अफगानिस्तान से बाहर निकल रहे हैं.

इस बीच अफगानिस्तान से भारत लौटे लोगों ने तालिबान के जुल्मों सितम की दास्तान बयां की. भारत आए लोगों ने बताया कि अफगानिस्तान की स्थिति दिनों दिन बिगड़ती जा रही है, वहां फायरिंग, बमबारी होती रहती है. ताबिलान पर भरोसा नहीं किया जा सकता. वे लोगों को पीट रहे हैं. सब लोग डरे हुए हैं. कुछ लोगों ने ये भी बताया कि तालिबानी लड़ाके घरों में घुसकर लूटपाट भी कर रहे हैं. इस बीच तालिबान के राज के बाद अफगानिस्तान के भविष्य को लेकर अनिश्चित्ताओं का दौर जारी है.

अफगानिस्तान की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं ने कहा है कि तालिबान और उनके बीच बैठकों के बावजूद भविष्य की राजनीतिक व्यवस्था को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई है. हालांकि नेताओं ने कहा है कि ऐसी राजनीति हो जो पूरे अफगान राष्ट्र की आकांक्षाओं को दर्शाए. कुछ नेताओं ने कहा कि अफगान राजनीतिक नेताओं और तालिबान के बीच हाल की बैठकें केवल परामर्श के लिए की गई. इसमें भविष्य की व्यवस्था को लेकर कोई गंभीर चर्चा नहीं हुई.