पाकिस्तान अपने टीचर्स से भी परेशान है. यूनिवर्सिटी में पढ़ाने वाले कुछ ‘भगोड़े’ फैकल्टी ने Pakistan को करोड़ों का चूना लगा दिया है. ‘कंगाल’ पाकिस्तान को इस बात का पता तब चला जब वहां के ऑडिटर जेनरल ने HEC पर अपनी ऑडिट रिपोर्ट जमा की. अब जब पड़ोसी मुल्क की आंखें खुलीं तो वो बौखलाया हुआ है. इन University Teachers की तलाश में दर-दर भटक रहा है.
उन शिक्षकों को ढूंढकर उनसे वसूली करने का आदेश दे दिया है. इसके लिए PAC ने पाकिस्तान उच्च शिक्षा आयोग (HIC) को निर्देश दिए हैं. पाकिस्तान सरकार को करोड़ों की चपत लगाने वाले यूनिवर्सिटी टीचर्स में 6 नाम सामने आए हैं- खुर्रम नदीम, आमना शहजाद, नोशाबा बतूल, सायमा अश्फाक खान, सलीम जहांगीर और कमर सुल्तान गोहर. आगे जानिए मामला क्या है.
दरअसल पाकिस्तान यूनिवर्सिटी लेवल पर पढ़ाने वाले टीचर्स/ पीएचडी स्कॉलर्स के लिए एक फैकल्टी डेवलपमेंट प्रोग्राम (FDP) चलाता है. इसके तहत PhD Scholars (जो किसी कॉलेज/ यूनिवर्सिटी में फैकल्टी हों) को एजुकेशनल ट्रेनिंग के लिए विदेश भेजा जाता है. इसका पूरा खर्च पाकिस्तान सरकार उठाती है. ट्रेनिंग पूरी करने के बाद उन्हें Pakistan वापस लौटकर अपनी सेवा देनी होती है.
ये 6 स्कॉलर्स भी एफडीपी का फायदा लेकर फीजिक्स, अप्लायड फीजिक्स, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, मैथ्स और स्टैटिस्टिक्स की ट्रेनिंग के लिए कनाडा और ब्रिटेन की यूनिवर्सिटीज में गए. लेकिन कभी वापस नहीं लौटे. पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाक ऑडिटर जेनरल की ऑडिट रिपोर्ट में ये बात सामने आई है. इन्हें Pakistan Govt ने ट्रेनिंग के लिए 45.7 मिलियन रुपये यानी करीब 4.57 करोड़ रुपये दिए थे.
पाक एचईसी डायरेक्टर शाइस्ता सोहेल ने PAC को बताया कि जांच मामले की जांच कर रही संस्था ने इन प्रोफेसर्स के खिलाफ कानूनी मामला दर्ज करने की सलाह दी. जिसके बाद उच्च शिक्षा आयोग ने इन्हें ढूंढने और FDP Program के तहत मिले पैसे वसूले जाने को लेकर केस दर्ज कर दिया है. मामला कोर्ट में है.
इसपर पाकिस्तान अकाउंट्स कमेटी के चेयरमैन नूल आलम खान ने एचईसी को तेजी से मामला निपटाने और वसूली करने के लिए कहा है. यहां तक कि पीएसी सदस्य ने इन फरार प्रोफेसर्स के खिलाफ फेडरल इनवेस्टिंग एजेंसी द्वारा रेड वारंट जारी करवाने की भी सलाह दी है. ताकि वो दुनिया में जहां भी हों, उन्हें ढूंढकर वापस पाकिस्तान लाया जा सके और रकम वूसली जा सके.