पाकिस्तान आतंकवादियों को हर संभव मदद कर रहा है। उसके देश से अफगानिस्तान की सीमा में आतंकवादी बेधड़क प्रवेश कर रहे हैं। इसके पीछे पाक की सोची-समझी साजिश है। वह अफगानिस्तान को हमेशा कमजोर और विभाजित रखना चाहता है। सेंटर आफ पालिटिकल एंड फारेन अफेयर के प्रेसीडेंट फेबियन बासार्ट ने इस पर विस्तार से जानकारी दी है। अपने लेख में बासार्ट ने कहा है कि पाकिस्तान अफगानिस्तान को हमेशा हिंसाग्रस्त देखना चाहता है। उसको अपना फायदा इसी में दिखाई देता है। यही वजह है कि वह अब भी तालिबान व अन्य आतंकी संगठनों को समर्थन ही नहीं, पूरा संरक्षण भी दे रहा है।
अफगान अधिकारियों का दावा- पाक, तालिबान को हवाई सीमा में भी कर रहा मदद
संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के राजदूत गुलाम इसकजई ने तो यहां तक कह दिया कि अफगानिस्तान की सरकार सुरक्षा परिषद को इस बात के पूरे सबूत सौंपने को तैयार है कि पाक तालिबान की सप्लाई चेन बना हुआ है। अफगान अधिकारियों कहना है कि पाक तालिबान को हवाई सीमा में भी समर्थन कर रहा है।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री पाक पर ISISI के आतंकियों को ट्रेनिंग देने का आरोप लगा चुके हैं
पिछले महीने अफगानिस्तान के विदेश मंत्री ने सीधे आरोप लगाया था कि पाक खुफिया एजेंसी आइएसआइ आतंकवादियों को प्रशिक्षण दे रही है। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने खुद यह बात कही है कि पाक सीमा से दस हजार विदेशी आतंकी अफगानिस्तान में घुसकर सेना से लड़ाई लड़ रहे हैं। लेख में कहा गया है कि अफगानिस्तान में आतंकियों की ताकत के पीछे पाकिस्तान की योजना काम कर रही है। अफगानिस्तान में शांति के लिए पहले पाक की साजिशों को रोकना होगा।
उधर, अफगानिस्तान में तालिबान और अफगान सेना के बीच संघर्ष लगातार बढ़ रहा है। तालिबान ने शेबरगान सिटी में एक जेल पर हमला कर यहां बंद 700 तालिबान लड़ाकों को छुड़ा लिया है। वहीं तालिबान ने देश के तीन प्रांतों में शरिया कानून लागू कर दिया। दूसरी तरफ, तालिबान से संघर्ष की शुरुआत से अब तक दो माह में करीब तीन लाख अफगानी अपने ही देश में बेघर भी हो चुके हैं। वहीं करीब 40 हजार अफगानी अपनी जान बचाने के लिए ईरान में शरण ले चुके हैं।