भगवान भैरव(Lord Bhairav) को सबसे अधिक पूजनीय माना जाता है। भैरव बाबा का ध्यान और पूजा-अर्चना करने से जीवन में आती हुई कई समस्याएं अपने आप दूर हो जाती है। उनकी दया से हर दिक्कतों का सामना किया जा सकता है। अगर आपकों किसी प्रकार की दिक्कत होती है, तो आप बाबा भैरव की पूजा-अर्चना शुरु करें। मन में किसी तरह का भय हो तो भगवान का स्मरण ही इसका राममाण इलाज है। जिन लोगों को रात में बुरे सपने आने की दिक्कत है, तो बाबा भैरव की पूजा से इसमें मदद मिल जाती है। आज हम आपको भगवान भैरव की पूजा कर के कई परेशानियां को मिनटों में दूर कर सकते हैं।
ऐसे करें बाबा भैरव का स्मरण
- अगर आपकों जीवन में कोई परेशानी या दिक्कत आती है, तो आप भैरव चालीसा का पढ़ें। ऐसा करने से आपकी दिक्कत बहुत जल्द ही दूर हो जाएगी। इसके लिए आपको लगातार 40 दिनों तक भैरव चालीसा का पाठ करना होगा। ऐसा करने से आपकी समस्या का खात्मा हो जाएगा।
- अगर आपके ऊपर बाबा भैरव की दयादृष्टि बन गई, तो आप हर तरह की मुसीबतों का सामना कर सकते है। इसके लिए आपकों नियमित रूप से पूजा करनी है इसमें आपकों सरसों का तेल और काली चीजें बाबा भैरव को अर्पित करनी होंगी। ऐसा करने से बाबा भैरव आप पर खुश होंगे और इनकी कृपा आप पर बन जाएगी।
- बाबा भैरव का वाहन कत्ते को कहा जाता है, इसलिए अगर आप चाहते है कि बाबा भैरव आप पर नजर बनाए रखे, तो उनके वाहन कुत्ते को प्रतिदिन रोटी खिलाया करें। अपने वाहन का पेट भरता देख बाबा भैरव खुश होते है और आपकी रक्षा हर समस्या से करते हैं।
- शास्त्रों में शिव जी की रौद्र रूप को ही बाबा भैरव कहा गया है। ऐसा बताया गया है कि बाबा भैरव की पूजा करने से दुश्मन का कोई भय नहीं होता है और संकट आपसे कोसों दूर रहते हैं। इसके अलावा जिनकी कुंडली में शनि ग्रह भारी होते है, तो वो लोग बाबा भैरव की पूजा करें, इससे शनि कुंडली में भारी नहीं होते हैं।
- अगर आपकों कोई रोग लग गया है, तो आप बाबा भैरव का पूजा करें। भिक्षुओ और कुष्ठ रोगियों को दान करने से भी भगवान खुश होते हैं। इसके अलावा आप तिल भी दान कर सकते है।
- प्रत्येत रविवार को बाबा भैरव को सिंदूर, तेल, नारियल, पुए और जलेबी चढ़ाए। ऐसे करने से आपकों अपने मन की चीज मिल जाएगी। इसके अलावा इनकी पूजा के बाद नारियल, पुए और जलेबी को प्रसाद के स्वरूप पांच से सात साल के लड़के में बांट दें। ये उपाय करने से भी भैरव भगवान खुश हो जाते है।
- बाबा भैरव के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना उचित माना जाता है और इसके साथ में नीचे दी हुई आरती का उच्चारण किया जाता है।
बाबा भैरव की आरती
जय भैरव देवा, प्रभु जय भैंरव देवा।
जय काली और गौरा देवी कृत सेवा।।
तुम्हीं पाप उद्धारक दुख सिंधु तारक।
भक्तों के सुख कारक भीषण वपु धारक।।
वाहन शवन विराजत कर त्रिशूल धारी।
महिमा अमिट तुम्हारी जय जय भयकारी।।
तुम बिन देवा सेवा सफल नहीं होंवे।
चौमुख दीपक दर्शन दुख सगरे खोंवे।।
तेल चटकि दधि मिश्रित भाषावलि तेरी।
कृपा करिए भैरव करिए नहीं देरी।।
पांव घुंघरू बाजत अरु डमरू डमकावत।।
बटुकनाथ बन बालक जन मन हर्षावत।।
बटुकनाथ जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहें धरणीधर नर मनवांछित फल पावें।।