21वीं सदी की रिश्वत खोरी भी हाईटेक हो गयी है। बस्ती जिले की हर्रैया तहसीलदार ने हाईटेक होने की मिसाल पेष कर दी है। घूसखोरी में रंगे हाथ पकड़े गए एक लेखपाल को बचाने के लिए तहसीलदार हर्रैया ने जिम्मा लिया है। तहसीलदार का साथ मिलने से रिश्वतखोरी को नया बल मिल गया है। तहसील में अब नकद के बचाये आॅनलाइन ट्रांजेक्शन से रिश्वतखोरी हो रही है। नकद से परेशानी होने की स्थिति में अधिकारियों ने सीधे अब खाते में रिश्वत लेना शुरू कर दिये हैं। गौर क्षेत्र पंचायत के गोभिया गांव निवासी मोहम्मद अजीम ने अपने पट्टे की जमीन पर कब्जा दखल के मामले में एक आवेदन एसडीएम हर्रैया को मार्च महीने में दिया था। एसडीएम के आदेश के क्रम में मौके पर नायब तहसीलदार हर्रैया निखिलेश कुमार, हल्का लेखपाल अरविन्द कुमार पासवान के साथ गये भी थे।
अजीम ने बताया कि कि मौके से जब ये लोग वापस होने लगे तो लेखपाल नें मुझे किनारे ले जाकर पक्ष में रिपोर्ट लगाने के लिये 10 हजार रूपये की मांग की। रिश्वत की मांग पर कुछ देर के लिए परेशान हो गया। जब मैने तुरन्त पैसा तैयार न होने की बात कही तो उन्होंने अपना नम्बर देकर मुझे बाद में ‘गूगल पे’ कर देने को कहा। उन्होंने कहा कि यह रकम खाते मंे दे देना। अजीम ने विभागीय भाग -दौड़ से बचने के लिए व्यवस्था करके उसने लेखपाल को 28 मार्च को आनलाइन रिश्वत की रकम खाते में भेज दी। उसे उम्मीद की अब काम हो जायेगा। करीब तीन माह तक लेखपाल टाल-मटोल करता ही रहा।
रिश्वत की राशि दे देने के बाद भी लम्बे समय तक काम न होने से परेशान अजीम परेषान होने लगा। अजीम एक दिन तहसील कार्यालय पहुंच गया। उसने लेखपाल से काम न होने का कारण पूछा। कारण पूछने पर लेखपाल ने कहा कि नायब निखिलेश के भी पेट है और वे भी 20 हजार लेंगे। उन्होंने नायब निखिलेश के लिए रिश्वत की मांग की। लेखपाल ने कहा कि निखिलेश को पैसा देने पर ही तुम्हारा काम हो पाएगा वरना नहीं होगा। विपक्षी ज्यादा देने को तैयार है। उसी के मुताबिक रिपोर्ट लगा दी जाएगी। इतनी भारी भरकम घूस दे पाने में अजीम अब लाचार हो चुका था। एक बार रिश्वत देने और दोबारा मांगे जाने से परेशान अजीम ने शिकायत करनी का निर्णय लिया।