अपनी लचर कानून-व्यवस्था को लेकर उत्तर प्रदेश लगातार कुख्यात होता जा रहा है। सूबे में न तो महिलाओं की आबरू महफूज है और न ही किसी इंसान की जान। ऐसी स्थिति में लगातार प्रदेश के कानून-व्यवस्था पर संजीदे सवालों की बौछारे उठना तो लाजिमी है। इस बीच अब बलिया हत्याकांड ने एक मर्तबा फिर से प्रदेश के कानून-व्यवस्था पर संजीदे सवालों की बयार बहा दी है। बता दें कि गत गुरुवार को कोटे की दुकान में आवंटन को लेकर हुए विवाद के चलते बीजेपी के करीबी कार्यकर्ता ने एक अधेड़ उम्र के शख्स को अपनी गोलियों का निशाना बना लिया। यह घटना बलिया के दुर्जनपुर पुरानी बस्ती के पास घटी है। इस दौरान ईंटे पत्थर भी चलाई गई है, जिसमें महिलाओं समेत आधा दर्जन लोग घायल हो गए। वहीं, इस पूरे प्रकरण को लेकर पुलिस की कार्रवाई का सिलसिसा भी शुरू हो चला है, अभी तक भले ही 6 आरोपी पुलिस की गिरफ्त में आ चुके हो, मगर मुख्य आरोपी व भाजपा का करीबी बताए जाने वाला धीरेंद्र कुमार अभी-भी पुलिस की गिरफ्त से बाहर है।
ऐसी स्थिति में लगातार विपक्षी दल अपने आक्रमक तेवर के साथ प्रदेश सरकार से इस मसले को लेकर सवाल पूछ रही है कि आखिर इस पूरे प्रकरण में मुख्य किरादर निभाना वाला वो मुख्य आरोपी आखिर पुलिस की गिरफ्त से कब तक बाहर रहेगा? मगर अभी तक यह सवाल अनुउत्तरित ही बना हुआ है। बता दें कि मुख्य आरोपी धीरेंद्र अभी-भी फरार है, मगर पुलिस का कहना है कि वो लगातार मुख्य आरोपी को पकड़ने के लिए छापेमारी कर रही है। उधर, अब फैसला लिया गया कि दुर्जनपुर गांव में सभी लोगों के असलहों का लाइसेंस रद्द कर दिया जाएगा।
एक्शन में सीएम योगी
इसके साथ ही इस पूरे मामले को संज्ञान में लेते हुए सीएम योगी फुल एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इलाके के एसडीएम और सीओ को निलंबित करने के आदेश दिए हैं। साथ ही मौके पर मौजूद सभी पुलिसकर्मियों को निलंबित करने को कहा है।
चश्मदीद ने बयां की पूरी घटना
उधर, इस पूरे मामले को लेकर चश्मदीद ने इस पूरे घटना को बारे में कहा कि सरकारी कोटे की दुकानों में आवंटन की कार्यवाही चल रही थी। इस दौरान इलाके के एसडीएम देखरेख की कार्रवाई कर रहे थे। तभी दो पक्षों के बीच विवाद बढ़ गया। विवाद इतना बढ़ा कि दोनों में गाली गलौज, मारपीट और ईंट पत्थर चलने लगी। इसी बीच एक पक्ष की तरफ से गोलियां चलने लगीं। इस दौरान बीजेपी विधायक के करीबी कार्यकर्ता धीरेंद्र प्रताप सिंह ने दूसरे पक्ष के जयप्रकाश पाल को मार दी। इसके बाद वहां मौजूदा लोगों ने उन्हें फौरन अस्पताल उन्हें में भर्ती करवाया, जहां पर डॉक्टरों ने उन्हें उपचार के दौरान मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद से मुख्य आरोपी अभी तक फरार बताया जा रहा है।