कोलकाता. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) करीब 1 साल बाद विदेश यात्रा पर जा रहे हैं. कोरोना संक्रमण काल शुरू होने के बाद पीएम की पहली विदेश यात्रा बांग्लादेश (Bangladesh) की है. पश्चिम बंगाल और असम में जिस दिन मतदान होगा उस दिन प्रधानमंत्री बांग्लादेश में रहेंगे. पीएम मोदी के इस विदेश यात्रा के चुनावी मायने भी निकाले जा रहे हैं.
प्रधानमंत्री 26 और 27 मार्च को बांग्लादेश पहुंचेंगे जब पड़ोसी मुल्क आजादी के 50 साल पूरे होने का जश्न मनाएगा. कोरोना काल में बांग्लादेश को वैक्सीन मुहैया कराकर भारत ने दोनों देशों के रिश्तों को और मजबूत करने की कोशिश की है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पीएम मोदी मतुआ समुदाय के धर्मगुरु हरिचंद्र ठाकुर की जन्मस्थली और तीर्थस्थल पर जाएंगे.
माना जा रहा है कि पीएम इस दौरे में सुगंधा शक्तिपीठ और ओरकंडी मंदिर सरीखे धार्मिक स्थल भी जा सकते हैं. पीएम के इस दौरे को बंगाल और असम चुनाव से जोड़कर भी देखा जा रहा है. बंगाल में 27 मार्च को 30 और असम में 47 सीटों पर चुनाव होगा.
साल 2019 में बदले समीकरण
दरअसल बांग्लादेश की आजादी से पहले बड़ी आबादी पश्चिम बंगाल आ गई थी. इसमें मतुआ समुदाय शामिल है. माना जा रहा है कि बांग्लादेश दौरे के वक्त पीएम की कोशिश होगी कि वह बंगाल में सत्ता की चाभी माने जाने वाले मतुआ समुदाय को साध सकें. राज्य में 294 विधानसभा सीटों में से 21 सीटों पर मतुआ मतदाताओं को अच्छा प्रभाव है. साल 1947 के बाद जब लोग आए तो वह पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और नदिया में आ कर बसे.
साल 2016 के विधानसभा चुनाव में टीएमसी को मतुआ बहुल 21 में से 18 सीटों पर जीत मिली थी, वहीं सीएए कानून आने के बाद बीजेपी को इन 21 सीटों में से 9 पर अच्छी बढ़त मिल गई. मतुआ समुदाय ने सीएए और प्रस्तावित एनआरसी की खुलकर वकालत की थी. बीजेपी को उम्मीद है कि पीएम बंग्लादेश की जमीन से मतुआ समुदायक को साधने की कोशिश के साथ ही लोकसभा के चुनाव के दौरान जिन सीटों पर बढ़त मिली थी, उसे और आगे बढ़ाएंगे.