कोरोना कहर के बीच केंद्र सरकार देशभर में प्राइवेट ट्रेनों (Private Trains) को चलाने वाले प्रोजेक्ट पर लगातार काम कर रही है. इसी सिलसिले में 22 जुलाई यानी बुद्धवार को भारतीय रेलवे (Indian Railway) ने तैयार निजी कंपनियों (Private Companies) के साथ प्री-एप्लीसकेशन कांफ्रेंस (Pre-Application Conference) भी की है. इस कांफ्रेंस में 16 प्राइवेट कंपनियों (Private companies) ने हिस्सा लिया था. जिन्होंने ट्रेन से जुड़ी सेवाओं के निजीकरण से संबंधित अपने सवालों को उठाया. निजी कंपनियों के इन सवालों के सभी जवाब रेलवे मंत्रालय (Ministry of Railways) की ओर से आए अधिकारियों और नीति आयोग (NITI Aayog) ने दिया है. कांफ्रेंस के समय इन निजी कंपनियों की ओर से आरएफक्यू और प्रोजेक्ट के लिए बोली के फॉर्मेट पर भी सवाल पूछे गए. इन सवालों का भी जवाब उन्हें अधिकारियों की ओर से दिया गया. बताया जा रहा है कि ट्रेन परिचालन में प्राइवेट कंपनियों के भाग लेने से कॉम्पिटिशन बढ़ेगा. साथ ही ट्रेन की सेवाओं की क्वालिटी भी और अच्छी होगी.
इस बारे में जानकारी देते हुए रेल मंत्रालय के एक अधिकारी कहा कि सोमवार की शाम तक 16 प्राइवेट कंपनियों ने खुद की इच्छा से 2 लाख रुपये की फीस देकर फॉर्म डाउनलोड किए थे. अधिकारी ने बताया कि शुरूआत में इन कंपनियों की तरफ से अपनी इच्छा जाहिर की गई है. फिलहाल और भी कई ऐसे लोग हैं जो धीरे-धीरे आगे आ रहे हैं. प्राइवेट संगठनों को अपने नेटवर्क पर सफर करने वाली ट्रेनों को चलाने की इजाजत देने के लिए एक ऑफिशियल शुरुआत के आधार पर रेलवे ने इसी महीने देशभर के 109 जोड़ी रूट्स पर 151 आधुनिक यात्री ट्रेनों को चलाने के लिए कंपनियों से प्रस्ताव स्वीकार कर लिए हैं.
फिलहाल सरकार की ओर से ये कयास लगाए जा रहे हैं कि इस नए प्रोजेक्ट से रेलवे में तकरीबन 30,000 करोड़ रुपये का निजी निवेश आएगा. प्राइवेट ट्रेनों के प्लान में रेलवे की ओर से साल 2022 से 23 तक में 12 ट्रेनों को शुरू करने की योजना बनाई गई है. इसके साथ ही साल 2023 से 2024 में 45 ट्रेनें जबकि साल 2025 से 26 तक 50 और ट्रेनें चलाने का पूरा प्लान तैयार किया है. इसके साथ ही आने वाले अगले साल के बजट में 44 ट्रेनों को चलाने पर योजना बनी है. यदि ऐसा होता है कि तो साल 2026 से 27 तक देशभर में कुल 151 प्राइवेट ट्रेनें हो जाएंगी. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पूरे देश में रेलवे नेटवर्क को 12 कलस्टर में विभाजित किया गया है.
दरअसल रेलवे की ओर से तैयार की जा रही योजना पीपीपी मॉडल के मुताबिक 5 प्रतिशत ट्रेनों का निजीकरण होगा. बाकी 95 फीसदी ट्रेनें रेलवे की तरफ से ही चलाई जाएंगी. बताया जा रहा है कि इस नए प्रोजेक्ट के लिए टेंडर मार्च 2021 तक कंफर्म कर दिए जाएंगे. जानकारी के मुताबिक निजी कंपनियां ट्रेनों को चलाने के लिए सिर्फ 8 सितंबर तक ही आवेदन कर सकती हैं. इस प्रक्रिया के बाद 8 नवंबर तक इन कंपनियों को शार्ट लिस्ट भी कर दिया जाएगा. ऐसे में जो कंपनिया शार्ट लिस्ट में आएंगी वो बोली का हिस्सा होंगी. बता दें कि ज्यादातर प्राइवेट ट्रेनों में कम से कम 16 डिब्बे होंगे. साथ ही ये ट्रेनें ज्यादा से ज्यादा 160 किलो मीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ेंगी.