मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में कोरोना संक्रमित एक महिला प्यास से तड़पती रही लेकिन उसे किसी ने पानी नहीं दिया. इस कोरोना मरीज की बाद में मौत हो गई. महिला के परिजनों ने इसके लिए अस्पताल के कर्मचारियों और डॉक्टरों को जिम्मेदार ठहराया है. वीडियो बनाकर सरकारी अस्पताल की अव्यवस्था को उजागर करते हुए मृतक महिला की बेटी ने आरोप लगाया कि उसकी मां ने सिर्फ इसलिए दम तोड़ दिया क्योंकि उसे किसी ने पीने के लिए पानी तक नहीं दिया.
मृतक महिला की बेटी ने कहा, मेरी मां को 31 अगस्त को जिला अस्पताल के कोविड आईसीयू वार्ड में भर्ती करवाया गया था. कल रात वह प्यास से तड़पती रही लेकिन किसी कर्मचारी ने उनको पानी तक नहीं दिया. आखिरकार उन्होंने मुझे 2 बार फोन लगाया और मैंने भी देर रात जिला अस्पताल की सिविल सर्जन से इस बात की शिकायत की लेकिन फिर भी मेरी मां को किसी भी स्वास्थ्यकर्मी ने पानी नहीं पिलाया. आखिरकार मेरी मां ने प्यास की वजह से दम तोड़ दिया. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद छिंदवाड़ा की सियासत तेज हो गई. छिंदवाड़ा के कांग्रेस विधायक सुनील उइके और नीलेश उइके सहित कार्यकर्ताओं ने थाने का घेराव किया और पुलिस को दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया.
सुनील उइके ने जिले के कलेक्टर पर बीजेपी का एजेंट होने का भी आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि कलेक्टर केवल बीजेपी के लिए काम करते हैं, अन्य जनप्रतिनिधि से संपर्क रखना भी उचित नहीं समझते, कलेक्टर बीजेपी के एजेंट हैं.