अपने बच्चों को मां का दूध नहीं पिला पाने वाले दुनियाभर के लाखों पैरंट्स के लिए बहुत अच्छी खबर है। अमेरिका की महिला वैज्ञानिकों की जोड़ी ने विश्व में पहली बार प्रयोगशाला के अंदर मां दूध तैयार करने में सफलता हासिल की है। इस दूध को बॉयोमिल्क नाम दिया गया है। इसे बनाने वाली वैज्ञानिकों ने कहा कि उन्होंने बॉयोमिल्क के पोषकता की जांच की है। साथ ही यह असली मां के दूध की तरह से सैकड़ों प्रोटीन, फैटी एसिड और अन्य वसा प्रचुर मात्रा में मिलाने का प्रयास किया गया है।
बॉयोमिल्क को बनाने वाली कंपनी का कहना है कि यह मां के दूध के तत्वों से बढ़कर है। इस कंपनी की सह संस्थापक और मुख्य विज्ञान अधिकारी लैला स्ट्रिकलैंड ने कहा, ‘हमारा ताजा काम ने यह दिखा दिया है कि इसे बनाने वाली कोशिकाओं के बीच कठिन रिश्तों को दोहराकर और दूध पिलाने के दौरान शरीर में होने वाले अनुभवों को मिलाकर दूध की ज्यादातर जटिलता को हासिल किया जा सकता है।
जानें कैसे आया मां का दूध बनाने का आइडिया
मां के दूध को बनाने का आइडिया उस समय आया जब लैला स्ट्रिकलैंड का बच्चा जल्दी पैदा हो गया और उन्हें उसे दूध पिलाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा। लैला स्ट्रिकलैंड एक कोशिका जीवविज्ञानी हैं। उनके शरीर के अंदर बच्चे को पिलाने के लिए दूध नहीं बन पाया। उन्होंने काफी प्रयास किया लेकिन वह असफल रहीं। इसके बाद उन्होंने वर्ष 2013 में प्रयोगशाला के अंदर मेमरी कोशिकाओं को पैदा करना शुरू किया। इसके बाद वर्ष 2019 में उन्होंने फूड विज्ञानी मिशेल इग्गेर के साथ साझेदारी की।न दोनों ने मिलकर अपना स्टार्टअप बॉयोमिल्क लॉन्च किया। फरवरी वर्ष 2020 में दोनों वैज्ञानिकों ने घोषणा की कि लैब में पैदा हुई मेमरी कोशिकाओं ने दूध में पाए जाने वाले दो मुख्य पदार्थों शर्करा और केसीन को बना दिया है। इसके बाद मां का दूध बनाने का रास्ता साफ हो गया। वैज्ञानिकों ने बताया कि अगले तीन साल में यह दूध बाजार में आ जाएगा।