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नक्सलियों पर सर्जिकल स्ट्राइक की तैयारी, बिहार-झारखंड पुलिस ने बनाई रणनीति

बिहार में नक्सलियों के खिलाफ बिहार पुलिस मुख्यालय (Bihar Police Headquarters) ने बड़े ऑपरेशन को लॉन्च करने की तैयारी शुरू कर दी है. उम्मीद जताई जा रही है कि जल्द ही नक्सलियों (Naxalites) के खिलाफ किए जा रहे एक्शन का परिणाम भी देखने को मिलेगा. पुलिस मुख्यालय के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार बिहार में पहली बार नक्सलियों के खिलाफ पॉइंटेड ऑपरेशन के लिए रणनीति तैयार की गई है.दरअसल पहली बार नक्सलियों द्वारा जन अदालत लगाकर गया के डुमरिया में 4 लोगों को फांसी देकर उनके घर को बम से उड़ा दिया था. इस वारदात के बाद से ही नक्सलियों के खिलाफ पुलिस की कड़ी कार्रवाई की उम्मीद जताई जा रही थी. बिहार में एंटी नक्सल ऑपरेशन के लिए पहले से ही सीआरपीएफ और कोबरा बटालियन के अलावा एसटीएफ की टीमें तैनात हैं.

पुलिस मुख्यालय के विशेष अधिकारी सूत्रों के मुताबिक इन जवानों की मदद से बड़ा ऑपरेशन लॉन्च करने की तैयारी शुरू हो गई है. हालांकि मामला संवेदनशील होने की वजह से पुलिस मुख्यालय क्या आला अधिकारी भी खुलकर कुछ भी कहने से बच रहे हैं. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही मुखबीरी के आरोप में गया के डूमरिया में चार लोगों को नक्सलियों द्वारा फांसी देने की घटना को अंजाम दिया गया था. जिसके बाद पुलिस मुख्यालय स्तर से बिहार और झारखंड दोनों राज्यों का जॉइंट ऑपरेशन में नक्सलियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करने की तैयारी की जा रही है. इस ऑपरेशन में सीआरपीएफ, कोबरा कमांडो और एसटीएफ के जवान को शामिल किया गया है. पुलिस मुख्यालय के विशेष सूत्रों से मिल रही जानकारी के अनुसार इस जघन्य कांड को हार्डकोर नक्सली कमांडर संदीप यादव के दस्ते के द्वारा अंजाम दिया गया है. दरअसल गया, औरंगाबाद के इलाकों में नक्सलियों की फौजी कार्रवाई को संदीप यादव ही लीड करता है

मिल रही जानकारी के अनुसार इस घटना को अंजाम देने में नक्सली संदीप यादव, नक्सली एरिया कमांडर विवेक यादव और अभिजीत यादव का नाम सामने आ रहा है. जिन्हें पुलिस के द्वारा चिन्हित किया गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि नक्सलियों के खिलाफ पुलिस द्वारा अब तक का यह सबसे बड़ा ऑपरेशन साबित हो सकता है. बताते चलें की कुछ दिन पहले ही नक्सलियों ने गया जिले के डुमरिया थाना क्षेत्र के मोनवार गांव के एक ही परिवार के 4 लोगों को फांसी दे दिया था. मरने वालों में दो पुरुष सत्येंद्र सिंह और महेंद्र सिंह और उनकी पत्नी सुनीता देवी और मनोरमा देवी थी. नक्सलियों ने इनलोगों को जन अदालत लगाकर मुखबीरी के आरोप में फांसी दे दिया था.