चांद पर सफल लैंडिंग के बाद चंद्रयान 3 (Chandrayaan-3) का रोवर प्रज्ञान (Rover Pragyan) अपना काम शुरू कर चुका है. लैंडर और रोवर के जरिए 14 दिनों तक चांद पर अनुसंधान किया जा सकेगा. विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर(VSSRC) के निदेशक डॉ. एस. उन्नीकृष्णन नायर (Dr. S. Unnikrishnan Nair) ने न्यूज़ एजेंसी आईएएनएस से कहा, ‘गुरुवार देर रात लगभग 12.30 बजे रोवर लैंडर से चंद्रमा की सतह पर उतर गया. यह चारों ओर घूम रहा है और चंद्रमा की सतह पर अपनी छाप छोड़ रहा है.’
उन्नीकृष्णन नायर के मुताबिक, रोवर के सोलर पैनल बाहर की तरफ खुल चुके हैं. लैंडर और रोवर मिलकर चांद की गतिशीलता, सतह पर मौजूद प्लाज्मा के घनत्व, चांद के परत की रूपरेखा, सतह के कंपन, रसायन और खनिज से जुड़ी जानकारियां जुटाएगा. इसके साथ ही चंद्रयान 3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल में लगे एक पेलोड से पृथ्वी की निगरानी की जा रही है. इस पेलोड से पृथ्वी की तरह ही ऐसे ग्रहों को खोजा जाएगा,जहां जीवन संभव हो.
14 दिनों के बाद लैंडर और रोवर क्या करेगा?
दरअसल चंद्रयान 3 के लैंडर और रोवर को एक चंद्रमा दिवस यानी 14 दिन के लिहाज से डिजाइन किया गया है, क्योंकि चांद पर 14 दिन तक ही सूर्य की रोशनी आती है. इसके बाद चांद की सतह पर अंधेरा छा जाता है. अंधेरे की वजह से चांद का तापमान -200 डिग्री तक गिर जाता है और इस तापमान में मुमकिन है कि लैंडर और रोवर में लगे उपकरण काम करना बंद कर दें. हालांकि एक उम्मीद है कि दोबारा सूर्य की रोशनी पड़ने के बाद उपकरण दोबारा काम करने लगे लेकिन इसकी संभावना काफी कम है.
पृथ्वी पर वापस आएगा लैंडर और रोवर?
चंद्रयान मिशन को इन-सीटू और स्पेक्ट्रोग्राफ अनुसंधान के लिए तैयार किया गया है. यानी चंद्रयान 3 के पेलोड चंद्रमा पर रहते हुए प्रकाश के कणों और मिट्टी के सैंपल से टेस्टिंग कर रिपोर्ट भेज सकेंगे. चंद्रयान 3 को चांद से वापस लाने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है. 14 दिनों तक कई पोलेड्स के जरिए चांद पर खोजबीन करना मिशन का उद्देश्य है. उसके बाद मिशन लाइफ खत्म होने पर चंद्रयान के सभी उपकरण चांद की सतह पर ही रहेंगे.