भारतीय संस्कृति में पीपल को यूं ही देववृक्ष नहीं कहा गया है। इसके एक-एक भाग में तमाम रोगों से मुक्ति दिलाने की क्षमता है। इसके रोम-रोम में देवताओं का वास माना गया है। स्कन्द पुराण में जहां इसके मूल में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं के साथ अच्युत का सदैव वास बताया गया है। धर्म शास्त्रों के अनुसार पीपल का वृक्ष लगाने से वंश परंपरा कभी विनष्ट नहीं होती। आयुर्वेंद में पीपल के औषधीय गुणों का अनेक असाध्य रोगों में उपयोग वर्णित है।
आयुर्वेद के रूप में पीपल के महत्व के बारे में बीएचयू के पंचकर्म विभाग के विभागाध्यक्ष डाक्टर जेपी सिंह का कहना है कि रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में पीपल के वृक्ष का हमारे जीवन में बहुत महत्व है। इसकी पत्तियों के प्रयोग से घाव, सूजन, दर्द से आराम मिलता है। पीपल खून को साफ करता है। पीपल की छाल मूत्र-योनि विकार में लाभदायक होती है। इसके छाल के उपयोग से पेट साफ होता है। यह पुरुषों में शुक्राणु को भी बढ़ाता है और गर्भधारण करने में मदद करता है। सुजाक, कफ दोष, डायबिटीज, ल्यूकोरिया, सांसों के रोग में भी पीपल का इस्तेमाल लाभदायक होता है। इतना ही नहीं, अन्य कई बीमारियों में भी आप पीपल का उपयोग कर सकते हैं।
सांस की बीमारी से मिलती है मुक्ति
आयुर्वेदाचार्य डाक्टर जेपी सिंह के अनुसार सांस की बीमारी से पीड़ित लोगों के लिए पीपल के पेड़ के आस पास रहना फायदेमंद होता है। इसके अलावा सांस की बीमारी में पीपल की छाल और पके फल के चूर्ण को बराबर मिलाकर पीसकर आधा चम्मच मात्रा में दिन में तीन बार सेवन करने से दमे में लाभ होता है। इसके सूखे फलों को पीसकर 2-3 ग्राम की मात्रा में 14 दिन तक जल के साथ सुबह-शाम सेवन करें। इससे सांसों की बीमारी और खांसी में लाभ होता है। उन्होंने एक विशेष बातचीत में कहा कि पीपल के पेड़ की छाल का काढ़ा या रस को दिन में तीन बार देने से कुक्कुर खांसी में लाभ होता है।
आंखों के रोम में फायदेमंद, दांत को भी पहुंचाता है लाभ
उन्होंने बताया कि पीपल के पत्ते के फायदे से आंखों के रोग ठीक किए जा सकते हैं। पीपल के पत्तों से निकलने वाले दूध के रंग का पदार्थ आंख में लगाने से उसका दर्द ठीक हो जाता है। पीपल और वट वृक्ष की छाल को समान मात्रा में मिलाकर जल में पका लें। इसका कुल्ला करने से दांतों के रोग ठीक होते हैं। इसकी दातुन करने से मुंह से आने वाली दुर्गंध भी खत्म हो जाती है।
हकलाने की समस्या को करता है दूर
डाक्टर जेपी सिंह के अनुसार पीपल के वृक्ष के लाभ हकलाने की समस्या में भी फायदे पहुंचाते हैं। पीपल के आधी चम्मच पके फल के चूर्ण में शहद मिला लें। इसका सुबह-शाम सेवन करने से हकलाहट की बीमारी में लाभ होता है। उन्होंने बताया कि पीपल की 50-100 ग्राम छाल के कोयलों को पानी में बुझा लें। इस पानी को साफ कर पिलाने से हिचकी की समस्या, उल्टी और अत्यधिक प्यास लगने की समस्या में लाभ होता है। इसके पके फलों के सेवन से कफ, पित्त, रक्तदोष, विष दोष, जलन, उल्टी तथा भूख की कमी की समस्या ठीक होती है।
पीलिया रोग में भी रामबाण औषधी
उन्होंने बताया कि पीपल की कोमल टहनियां, धनिया के बीज तथा मिश्री को बराबर भाग में मिलाकर तीन से चार ग्राम रोज सुबह और शाम सेवन करने से पेचिश में लाभ होता है। इसके साथ ही यह पीलिया रोग के लिए भी रामबाण औषधी है। इसके तीन-चार नए पत्तों को मिश्री के साथ 250 मिली पानी में बारीक पीस-घोलकर छान लें। यह शर्बत रोगी को दो बार पिलाएं। इसे तीन से पांच दिन प्रयोग करें। यह पीलिया रोग के लिए रामबाण औषधि है। पीपल के वृक्ष के लाभ से बांझपन की समस्या में फायदा मिलता है। मासिक धर्म खत्म होने के बाद 1-2 ग्राम पीपल के सूखे फल के चूर्ण को कच्चे दूध के साथ पिएं। 14 दिन तक देने से महिला का बांझपन मिटता है।
चर्मरोग में भी लाभदायक
डाक्टर जेपी सिंह के अनुसार पैरों की एड़ियां फटने पर पीपल के पत्तों का रस या दूध (आक्षीर) लगाएं। पीपल की कोमल कोपलें खाने से खुजली और त्वचा पर फैलने वाले चर्म रोग खत्म हो जाते हैं। इसका 40 मिली काढ़ा बनाकर पीने से भी यही लाभ होता है।