सावन माह के चौथे सोमवार पर शिवालयों में भारी भीड़ देखी गयी। गौरतलब है कि सावन महीने में शिवभक्तों की मंदिरों में काफी भीड़ देखी जाती है। वहीं गुजरात में ऐसा शिव मंदिर है, जो दिन में 2 बार समुद्र में डूब जाता है।
मंदिर के इस तरह डूबने और कुछ घंटे बाद फिर प्रकट होने की घटना को देखने के लिए विदेशों से भी पर्यटक आते हैं, यह मंदिर गुजरात के वडोदरा शहर के पास कावी-कंबोई नाम के गांव में है। इस प्राचीन शिव मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं को शिव दर्शन के लिए समुद्र के जलस्तर के घटने का इंतजार करना पड़ता है।
समुद्र में आने वाले ज्वार-भाटे दिन में 2 बार इस मंदिर को अपने जल में समाहित कर लेते हैं और कुछ देर बाद फिर से शिवलिंग नजर आने लगता है, यह मंदिर अरब सागर के बीच कैम्बे तट पर बना हुआ है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर के नाम से विख्यात इस तीर्थ के बारे में श्री महाशिवपुराण की रुद्र संहिता में उल्लेख किया गया है। इसके मुताबिक यह मंदिर भगवान शिव के बेटे कार्तिकेय ने बनाया था, शिव भक्त ताड़कारसुर का वध करने के बाद कार्तिकेय बहुत बैचेन थे, तब अपने पिता के कहने पर उन्होंने ताड़कासुर के वध स्थल पर यह मंदिर बनाया था।
इस मंदिर का शिवलिंग करीब 4 फीट ऊंचा और 2 फीट चौड़ा है। मंदिर की इस चमत्कारिक घटना के अलावा लोग खूबसूरत अरब सागर का नजारा देखने के लिए भी यहां आते हैं। इस मंदिर के गायब होने के पीछे एक ठोस वजह है, यह मंदिर अरब सागर के पास स्थित है और ज्वार-भाटा उठने के चलते ऐसा होता है। इस मंदिर के निर्माण के बारे में स्कंदपुराण में एक कथा उल्लेखित हैं।
स्कंदपुराण के अनुसार एक बार राक्षस ताड़कासुर ने अपनी कठोर तपस्या से भगवान शिव को प्रसन्न कर लिया था। जब शिव जी उसके सामने प्रकट हुए तो उसने शिव जी से वरदान मांगा कि मुझे सिर्फ आपका पुत्र ही मार सकेगा और वह सिर्फ 6 दिन का था। उसकी कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उसे यह वरदान दे दिया। वरदान मिलते ही ताड़कासुर ने हाहाकार मचाना शुरु कर दिया। वह देवताओं और ऋषियों को बहुत प्रताड़ित करने लगा। ऐसे में सभी देवतागण और ऋषि मुनि भगवान शिव जी के शरण में पहुंचे।
शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में उत्पन्न हुए कार्तिकेय ने 6 दिन की आयु में ही ताड़कासुर का वध कर दिया। जब कार्तिकेय को पता चला कि ताड़कासुर भगवान शिव जी का भक्त था। इस बात से वो काफी व्यथित हो गए। कार्तिकेय को इस हाल में देखकर भगवान विष्णु ने कार्तिकेय से कहा कि वो वधस्थल पर शिवालय बनवा दें। इससे उनका मन शांत हो जाएगा। कार्तिकेय ने विष्णु की बात मानकर ऐसा ही किया। फिर सभी देवताओं ने मिलकर महिसासुर संगम तीर्थ पर विश्वनंदक स्तंभ की स्थापना की। जिसे आज स्तंभेश्वर तीर्थ के नाम से जाना जाता है।