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चुनाव से ठीक पहले राम रहीम का जेल से बाहर आना संयोग या प्रयोग ? तीन बार मिल चुकी पैरोल

हत्या के दो अलग-अलग मामलों में दोषी ठहराए गए डेरा सच्चा सौदा (DSS) के प्रमुख गुरमीत राम रहीम (Gurmeet Ram Rahim) को 14 अक्टूबर को रोहतक (Rohtak) की सुनारिया जेल से 40 दिन की पैरोल (parole) पर रिहा किया गया था। इस साल यह तीसरी बार है जब वह जेल से बाहर निकला है। पिछली दो बार की तरह इस बार भी उन इलाकों में चुनाव होने वाला है, जहां आज भी राम रहीम का कुछ प्रभाव कायम है।

राम रहीम पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लोकप्रिय है। वह तीन अलग-अलग आरोपों में जेल की सजा काट रहा है। राम रहीम को मई 2002 में एक अनुयायी रंजीत सिंह की हत्या के लिए दोषी ठहराया गया था। इसके अलावा कोर्ट ने उसे अक्टूबर 2002 में पत्रकार राम चंद्र छत्रपति की हत्या का भी दोषी पाया था। राम रहीम को दो महिला अनुयायियों के बलात्कार के लिए भी दोषी ठहराया गया था। सीबीआई की एक विशेष अदालत ने अगस्त 2017 में उसे दोषी ठहराया और उन्हें 20 साल की जेल की सजा सुनाई थी। इस सजा के बाद हरियाणा में हिंसा भड़क उठी, जिसमें कम से कम 41 लोग मारे गए।

दोषी ठहराए जाने के बाद से राम रहीम को करीब छह बार पैरोल या फरलो पर रिहा किया जा चुका है। पैरोल और फरलो दोनों सशर्त रिहाई के रूप हैं, जो राज्य सरकार के द्वारा दी जाती हैं। पिछले एक साल में रहीम को तीन बार यह राहत मिली है। राम रहीम को इस साल 7 फरवरी से 27 फरवरी के बीच फरलो दिया गया था। इस दौरान पंजाब में 20 फरवरी को विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग हुई थी।

इसके बाद हरियाणा में 46 नगर पालिकाओं के लिए महत्वपूर्ण चुनावों से दो दिन पहले यानी 17 जून को राम रहीम को 30 दिनों के पैरोल पर रिहा किया गया था। हाल ही में 14 अक्टूबर को डेरा प्रमुख को 40 दिनों के लिए पैरोल दी गई थी। इस दौरान हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर उपचुनाव होगा। साथ ही हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

डेरा सच्चा सौदा ने 2007 के पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का खुलकर समर्थन किया था। 2014 तक यह भाजपा की ओर झुकना शुरू कर दिया। लोकसभा चुनावों के साथ-साथ हरियाणा विधानसभा चुनावों में भी भगवा पार्टी का समर्थन किया। पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश में बड़ी संख्या में डेरा के अनुयायी हैं। हरियाणा के सिरसा, हिसार, फतेहाबाद, कुरुक्षेत्र, कैथल और पंचकुला में इस आश्रम के कई अनुयायी हैं। वहीं पंजाब के मालवा क्षेत्र और हिमाचल प्रदेश के कई इलाकों में संप्रदाय के अनुयायियों की एक बड़ी उपस्थिति है।

एमडीयू रोहतक में राजनीति विज्ञान पढ़ाने वाले प्रोफेसर राजेंद्र शर्मा ने कहा कि राम रहीम का चुनाव होने पर बाहर होना महज संयोग नहीं माना जा सकता। उन्होंने कहा, “यह बदले की भावना का एक स्पष्ट उदाहरण है। वह अपनी आजादी वापस चाहता हैं और वह उनके कैडर से समर्थन चाहता है।”

पैरोल पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता उदित राज ने कहा कि राम रहीम को आदमपुर उपचुनाव में भाजपा की मदद करने के उद्देश्य से यह राहत दी गई है। वहीं, इनेलो विधायक अभय चौटाला ने भी पूछा कि राम रहीम को बार-बार पैरोल क्यों दी जाती है, जबकि अन्य दोषियों को समान राहत से वंचित किया जाता है।

हरियाणा के जेल मंत्री चौधरी रंजीत सिंह ने कहा कि अधिकारी जेल मैनुअल से चलते हैं। उन्होंने कहा, ”जेल विभाग का कर्तव्य कैदियों की देखभाल करना है। एक कैदी की पैरोल या फरलो कानून के अनुसार सक्षम प्राधिकारी (उप और संभागीय आयुक्त) द्वारा तय की जाती है। उनका पैरोल एक मुद्दा बन जाता है क्योंकि यह एक हाई प्रोफाइल मामला है। ऐसे कई कैदी हैं जो जघन्य अपराधों के लिए दोषी हैं जिन्हें बिना मीडिया का ध्यान आकर्षित किए पैरोल मिल जाती है।”