पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा (Post Poll Violence) के मामले में कलकत्ता हाई कोर्ट (Calcutta High Court) के आदेश के बाद से केंद्रीय जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है. सीबीआई की टीम ने अभी तक बंगाल में 34 एफआईआर (FIR) दायर कर चुकी है और गुरुवार को बीरभूम (Birbhum) में बीजेपी कार्यकर्ता (BJP Worker) की हत्या के मामले में रामपुरहाट अनुमंडल अदालत में पहली चार्जशीट (Charge sheet) भी दायर कर दी है. बता दें कि अदालत के आदेश के छह दिन के बाद ही चार्जशीट दायर कर दी है.
विधानसभा चुनाव के बाद बीरभूम के नलहाटी में बीजेपी कार्यकर्ता मनोज जायसवाल की हत्या के के मामले में सीबीआई ने हत्या के दो आरोपियों मोइनुद्दीन शेख और इमरान शेख के खिलाफ रामपुरहाट अनुमंडल अदालत में गुरुवार को 360 पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया. इसके अलावा, सीबीआई के वकील ने दोनों आरोपियों को जेल हिरासत में रखने और मुकदमा चलाने का अनुरोध किया, जिसे अदालत ने मंजूर कर लिया और आरोपियों को जमानत याचिका को खारिज कर दी.
सीबीआई के विरोध पर आरोपियों को नहीं मिली जमानत
दोनों आरोपियों को सीबीआई की आपत्ति के बाद जमानत नहीं मिली. एक आरोपी मोइनुद्दीन शेख, जो जेल की हिरासत में है, ने जमानत के लिए आवेदन किया था, लेकिन सीबीआई के वकील ने जमानत के खिलाफ अपील की. रामपुरहाट अनुमंडल न्यायालय के न्यायाधीश ने सीबीआई के एक वकील की आपत्ति पर जमानत देने से इनकार कर दिया. बता दें कि चुनाव बाद हिंसा के मामले में अभी तक 34 एफआईआर (FIR) दर्ज कर चुकी है. गुरुवार की सुबह सीबीआई की एक टीम प्रेसिडेंसी जेल पहुंची और मृत बीजेपी कार्यकर्ता अभिजीत सरकार के पांच आरोपी जेल में बंद हैं. उनसे पूछताछ की. सीबीआई अधिकारियों ने सोनारपुर पुलिस के जांच अधिकारी सुजय दास को आज सीजीओ कॉम्प्लेक्स में तलब किया था और उनसे भी पूछताछ की. बता दें कि सुजय दास सोनारपुर में एक बीजेपी नेता की हत्या के मामले में जांच अधिकारी हैं.
सीबीआई ने जांच अधिकारियों से भी पूछताछ शुरू की
सीबीआई सूत्रों के मुताबिक इस बार हर मामले की जांच कर रहे राज्य अधिकारियों को चरणबद्ध तरीके से तलब किया जाएगा. राज्य के जांच अधिकारियों से चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों पर कई अहम जानकारियां हासिल की जा सकती हैं. सीबीआई किसको गिरफ्तार किया गया, किसे गिरफ्तार नहीं किया गया, उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया, राज्य के जांच अधिकारियों से राज्य पुलिस के हाथ में क्या सबूत आए, इसका ब्योरा जानना चाहती है. इस बीच, बंगाल सरकार ने हाईकोर्ट के आदेश के मद्देनजर 10 आईपीएस अधिकारियों को लेकर सिट का गठन कर दिया है, दूसरी ओर, बंगाल सरकार ने हाई कोर्ट के सीबीआई जांच के आदेश की सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है.
टीएमसी ने सीबीआई पर किया कटाक्ष
दूसरी ओर, टीएमसी के प्रवक्ता कुणाल घोष ने सीबीआई पर कटाक्ष करते हुए कहा कि जो सीबीआई बीरभूम में नोबेल पुरस्कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के मेडल को नहीं खोज पाई है. वही सीबीआई छह दिन में ही मात्र चार्जशीट दायर कर दी है. यह आश्चर्यजनक है. उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी सीबीआई की राजनीतिक रूप से इस्तेमाल कर रही है.