हांगकांग (Hong Kong) के सबसे बड़े लोकतंत्र समर्थक अखबार को ‘ताला लगाने’ पर मजबूर करने के बाद भी चीन (China) अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. एप्पल डेली अखबार (Apple Daily Newspaper) के प्रकाशन को बंद करवाने और उसकी संपत्तियों को जब्त करने के बाद अब उसके कर्मचारियों को टार्गेट किया जा रहा है. दरअसल, हांगकांग पुलिस (Hong Kong Police) ने अखबार के दो शीर्ष संपादकों और दो संपादकीय लेखकों पर मिलीभगत का आरोप लगाया है. स्थानीय मीडिया ने बताया कि इन लोगों को हांगकांग पुलिस ने बुधवार को गिरफ्तार किया.
कार्यकारी संपादक-इन-चीफ लैम मान-चुंग हाल के हफ्तों में गिरफ्तार किए गए एप्पल डेली अखबार के आठवें पत्रकार थे. शहर के अधिकारियों ने तेजी से विरोध करने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई की है. वहीं. चीन की केंद्र सरकार इस अर्ध-स्वायत्त क्षेत्र को अपने कब्जे में लेने में जुटी हुई है. ‘साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की खबर के मुताबिक, लैम को बुधवार को गिरफ्तार किया गया. स्थानीय मीडिया ने बताया कि एसोसिएट प्रकाशक और उप मुख्य संपादक चान पुई-मैन और संपादकीय लेखकों फंग वाई-कोंग और येंग चिंग-की को भी बुधवार को उनकी जमानत रद्द होने के बाद हिरासत में लिया गया.
राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत हुई गिरफ्तारी
अखबार के चारों पत्रकारों पर विदेशी देश या बाहरी तत्वों के साथ मिलीभगत कर षडयंत्र रचने का आरोप लगाया गया है. इन सभी लोगों को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया है. पुलिस ने 51 से 57 साल के बीच के चार लोगों को गिरफ्तार किए जाने की बात की पुष्टि कर दी है. लेकिन इसने इन लोगों की पहचान को उजागर नहीं किया है. ये सभी लोग गुरुवार को अदालत में पेश किए जाएंगे. चान उन पांच एप्पल डेली के अधिकारियों और संपादकों में शामिल थे जिन्हें 17 जून को गिरफ्तार किया गया था, जबकि यंग और फंग को कुछ दिनों बाद गिरफ्तार किया गया था.
सुरक्षा मंत्री ने गिरफ्तारी को लेकर क्या कहा?
हांगकांग के सुरक्षा मंत्री क्रिस टैंग ने इस बात से इनकार किया कि इन लोगों की गिरफ्तारी से पत्रकारों के बीच ‘व्हाइट टेरर’ की शुरुआत होगी. ‘व्हाइट टेरर’ राजनीतिक दमन के कारण भय के माहौल का जिक्र करता है. उन्होंने कहा कि जो कोई भी अपराध करेगा, उसकी पृष्ठभूमि की परवाह किए बिना उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. फिर वो कुछ भी करते हैं या उनका पेशा क्या है. मंत्री ने कहा, वास्तव में इन चीजों के कोई फर्क नहीं पड़ता है. यदि वे अपराध करते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जाएगा. और अगर कोई सबूत मिलता है, तो उन पर मुकदमा चलाया जाएगा.