चार साल के लंबे इंतजार के बाद रविवार की सुबह राष्ट्रपति पैतृक गांव परौंख पहुंच तो ग्रामीणों की खुशी दोगुनी हो गई। पथरी देवी मंदिर में करीब एक घंटे का पूजन करने के बाद अब राष्ट्रपति गांव के मैदान में बने पंडाल में मंच पर पहुंच गए हैं, उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी है। मुख्यमंत्री और राज्यपाल की मौजूदगी में अफसरों ने भी राष्ट्रपति का स्वागत किया है। वहीं राष्ट्रपति ने गांव में अपनों से मिलकर प्यार लुटाया। उनके साथ पत्नी सविता कोविन्द भी मौजूद हैं।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द ने कहा कि मैं कहीं भी रहूं, मेरे गांव की मिट्टी की खुशबू और मेरे गांव के निवासियों की यादें सदैव मेरे हृदय में विद्यमान रहती हैं। मेरे लिए परौंख केवल एक गांव नहीं है, यह मेरी मातृभूमि है, जहां से मुझे, आगे बढ़कर, देश-सेवा की सदैव प्रेरणा मिलती रही। गांव में सबसे वृद्ध महिला को माता तथा बुजुर्ग पुरुष को पिता का दर्जा देने का संस्कार मेरे परिवार में रहा है, चाहे वे किसी भी जाति, वर्ग या संप्रदाय के हो। आज मुझे यह देख कर खुशी हुई है कि बड़ों का सम्मान करने की हमारे परिवार की यह परंपरा अब भी जारी है।
उन्होंने कहा, भारतीय संस्कृति में ‘मातृ देवो भव’, ‘पितृ देवो भव’, ‘आचार्य देवो भव’ की शिक्षा दी जाती है। हमारे घर में भी यही सीख दी जाती थी। माता-पिता और गुरु तथा बड़ों का सम्मान करना हमारी ग्रामीण संस्कृति में अधिक स्पष्ट रूप से दिखाई पड़ता है। आज इस अवसर पर देश के स्वतंत्रता सेनानियों व संविधान-निर्माताओं के अमूल्य बलिदान व योगदान के लिए मैं उन्हें नमन करता हूं। सचमुच में, आज मैं जहां तक पहुंचा हूं उसका श्रेय इस गांव की मिट्टी और इस क्षेत्र तथा आप सब लोगों के स्नेह व आशीर्वाद को जाता है।
उन्होंने कहा, मैंने सपने में भी कभी कल्पना नहीं की थी कि गांव के मेरे जैसे एक सामान्य बालक को देश के सर्वोच्च पद के दायित्व-निर्वहन का सौभाग्य मिलेगा। लेकिन हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था ने यह करके दिखा दिया। कहा, मेरे आगमन पर आप जितने खुश हैं उससे ज्यादा कहीं खुशी मुझे है। हेलीकॉप्टर से उतरने के बाद मैंने सबसे पहले अपनी जन्मभूमि को चरण स्पर्श किया। इस बार काफी विलंब से गांव आना हुआ लेकिन कामना करता हूं कि आगे से ऐसा ना हो। गांव आकर सबसे पहले पथरी देवी के दर्शन किए और उनका आशीर्वाद लिया। बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण करने का सौभाग्य मुझे मिला, वहां पर सामुदायिक केंद्र देखकर खुश हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने वादा किया है कि यहां जल्द ही बाबा साहब की संगमरमर की भव्य प्रतिमा बनवाई जाएगी।
उन्होंने बताया कि मैं अपने पुश्तैनी मकान में गया, जो अब मिलन केंद्र में परिवर्तित हो चुका है। मुझे संतोष है कि यह केंद्र बेहतर तरीके से काम कर रहा है, मुख्यमंत्री जी ने सुझाव दिया कि यहां महिला उत्थान से संबंधित कार्यक्रम आयोजित किए जाएं।
राष्ट्रपति के स्वागत भाषण में राज्यपाल आंनदीबेन पटेल ने कहा कि राष्ट्रपति ने दलितों के लिए बहुत काम किया और हमेशा विवादों से दूर रहे। राष्ट्रपति संसदीय परंपराओं के अच्छे जानकार हैं और जीवन भर वंचितों के लिए संघर्ष किया। आदिवासी गांव में क्षेत्र के विकास के लिए उन्होंने कई कार्य किये हैं। कार्यक्रम में राष्ट्रपति के भाई प्यारेलाल ने मोतीलाल गुप्ता को पितृ सम्मान, भाभी विद्यावती ने सुशीला देवी को मातृ सम्मान और भाई रामस्वरूप भारती व शिवकुमार ने वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज के प्राचार्य विमल कुमार अग्निहोत्री को गुरु सम्मान से सम्मानित किया।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा राष्ट्रपति का अपने गांव प्रथम आगमन पर मैं प्रदेश की जनता की ओर से उनका अभिनंदन करता हूं। भारत की पुरातन परंपरा ही हमे स्वावलंबन और अनुशासन के साथ हमे आगे बढ़ाती हैं, विश्व में हमें विशिष्ट पहचान दिलाती है। कहते हैं जननी और जन्मभूमि का कोई विकल्प नहीं होता, आज पहली बार मैं भी इस गांव में आया हूं। यहां पर राष्ट्रपति की स्मृतियां जुड़ी हुई हैं, उन्हें मैंने भी नजदीक से देखा, जन्मभूमि के प्रति हमारे भी दायित्व हैं। राष्ट्रपति जी ने यह दायित्व पूरा किया है और अपनी जन्मस्थली को मिलन केंद्र के रूप में दान किया। साथ ही अपने जीवन भर की कमाई को वीरांगना झलकारी बाई इंटर कॉलेज के निर्माण में दान कर दिया। यही वजह है कि आज परौख गांव देश और दुनिया में अपना विशिष्ट स्थान बना रहा है। मैंने पथरी देवी मंदिर के दर्शन भी किए, मंदिर के निर्माण में पिता ने चार धाम की यात्रा से लौटने के बाद योगदान दिया था। उत्तर प्रदेश ने देश को सर्वोच्च पदों पर कई विभूतियां दी हैं, इस समय राष्ट्रपति जी कानपुर देहात के रहने वाले हैं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र वाराणसी है। सौभाग्य की बात है हमने राष्ट्रपति के गांव के विकास के लिए कुछ योजनाएं बनाई है। मुख्यमंत्री ने कानपुर देहात में मेडिकल कालेज बनवाने की घोषणा की। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है, जांच कराने से पीछे मत भागें और बारी आने पर वैक्सीन जरूर लगवाएं।
कानपुर के सर्किट हाउस से सुबह करीब साढ़े आठ बजे राष्ट्रपति का काफिला हेलीपैड पर पहुंचा, इसके बाद राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द व उनकी पत्नी सविता कोविन्द हेलीकॉप्टर से परौंख के लिए रवाना हुए। करीब 9:05 बजे परौंख गांव में हेलीकॉप्टर उतरा और यहां से राष्ट्रपति सीधे पथरी देवी मंदिर गए, जहां पर पूजन अर्चन किया। उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी मौजूद रहे। पूजन पूरा करने के बाद राष्ट्रपति गांव के मैदान में बने पंडाल में मंच पर पहुंच गए। यहां पहले से मौजूद ग्रामीणों ने उनका स्वागत किया तो राष्ट्रपति ने भी अपनों पर प्यार लुटाया।
राष्ट्रपति के आगमन को लेकर वृद्ध ही नहीं युवा और महिलाएं भी स्वागत के लिए पंडाल में सुबह से पहुंच गए थे। पीएसी जवानों के राष्ट्रगान के बाद बालिकाओं ने स्वागत गान किया गया। अफसर भी गांव का भ्रमण करके सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लेते रहे।
कानपुर देहात के झींझक के गांव परौंख की मिट्टी ने अपने राम नाथ कोविन्द के गली मोहल्लों में खेलने से लेकर छात्र जीवन, राज्यपाल व अब देश के शीर्ष पद पर पहुंचने का सफर देखा है। इस सफर के दौरान वह हमेशा यहां से जुड़े रहे, लेकिन चार वर्ष का लंबा इंतजार कभी परौंख को करना नहीं पड़ा था। अब जब राष्ट्रपति यहां आ रहे हैं, चार वर्ष बाद यह सपना पूरा होने जा रहा है। इसे लेकर गांव के लोग बेहद उत्साहित हैं, राष्ट्रपति यहां 9:05 बजे हेलीकॉप्टर से पहुंचेंगे, उनके साथ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदी बेन पटेल भी रहेंगी।