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कोरोना रिपोर्ट निगेटिव होने के बावजूद बीमार मरीजों को अस्पताल में लेनी होगी भर्ती, सरकार ने जारी किया निर्देश

पश्चिम बंगाल (West Bengal) में लगातार कोरोना (Corona) के मामले बढ़ रहे हैं. इसके साथ ही अस्पतालों (Hospitals) में भीड़ भी बढ़ रही है. कई अस्पतालों में शिकायत मिली है कि वे अन्य बीमारियों से पीड़ित मरीजों को भर्ती लेने से इनकार कर रहे हैं. अब राज्य सरकार ने निर्देश जारी किया है कि कोरोना (COVID 19) रिपोर्ट निगेटिव (Negative) रहने या रिपोर्ट नहीं रहने के बावजूद गंभीर रूप से बीमार मरीजों को अस्पताल में भर्ती लेनी होगी.

बता दें कि कई ऐसे मामले सामने आए हैं कि कोई रिपोर्ट नहीं रहने पर का बहाना बनाकर मरीजों को लौटा रहा है. राज्य के विभिन्न हिस्सों में इस तरह के आरोप लगाए जा रहे हैं. विशेष रूप से मेडिकल कॉलेजों के खिलाफ इस तरह के आरोप उठ रहे हैं.

मरीजों का रैपिड एंटीजन टेस्ट कराने का निर्देश

इस स्थिति में राज्य के स्वास्थ्य विभाग द्वारा महत्वपूर्ण दिशानिर्देश जारी किए गए है. इस निर्देश में कहा गया है कि रिपोर्ट निगेटिव होने के बावजूद बीमार रोगी के तुरंत इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती देनी होगी. निर्देश में कहा गया है कि यदि आवश्यक हो, तो रोगी को एक अलग वार्ड में रखा जाए और रिपोर्ट जानने के लिए रैपिड एंटीजन परीक्षण किया जाना चाहिए. यदि रोगी की स्थिति गंभीर है, तो उसे किसी अन्य अस्पताल में नहीं भेजा जा सकता है. स्वास्थ्य विभाग ने निर्देश दिया है कि यदि कोई बिस्तर नहीं है, यदि रोगी को दूसरे अस्पताल में भेजा जाता है, तो उसे यह सुनिश्चित करना चाहिए कि जिस अस्पताल में उसे भेजा जा रहा है, वहां बेड हो.

अस्पताल में भर्ती नहीं होने के कारण मरीजों की हो रही है मौत

पिछले एक सप्ताह से अधिक समय से, स्वास्थ्य अधिकारी समीक्षा कर रहे हैं और यह पता लगा रहे हैं कि हर्ट अटैक राज्य में मृत्यु के प्रमुख कारणों में से एक है. अस्पतालों में बेड नहीं मिल रही है. कई मामलों में मरीज सही समय पर अस्पताल नहीं जा पाते हैं, जिससे घर में ही मौत हो जाती है. कई बार कोरोना परीक्षण रिपोर्ट नहीं होती है, इस बहाने अस्पतालों से वापस भेज दिया जाता है. अधिकारियों ने यह भी देखा कि इस तरह की घटनाएं मेडिकल कॉलेजों में अधिक हो रही हैं. इसलिए, मेडिकल कॉलेजों को दिशानिर्देश दिए गए हैं जहां स्वास्थ्य सुविधाएं सबसे अच्छी हैं ताकि ऐसी घटनाएं न हों.सूत्रों ने कहा कि एमआर बांगुर अस्पताल मरीजों के इलाज में ऐसी शिकायतें नहीं मिली है. कई लोग वहां इलाज करा रहे हैं. यही वजह है कि स्वास्थ्य विभाग राज्य के अन्य अस्पतालों में उस मॉडल का पालन करना चाहता है.