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केंद्र व राज्यों को सुप्रीम कोर्ट ने दिया बड़ा आदेश, कहा- 15 दिन के अंदर घर भेजे जाएं सभी प्रवासी मजदूर

प्रवासी मजदूरों के मामले पर अहम फैसला लेते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और राज्यों को 15 दिन के भीतर उन्हें उनके घर वापस भेजने का इंतजाम करने का आदेश दिया है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि लॉकडाउन का उल्लंघन करने वाले प्रवासी मजदूरों के खिलाफ दर्ज सभी मामले आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के अंतर्गत वापस लेने पर विचार किया जाएगा। बता दें कि केंद्र व राज्यों ने इन प्रवासी मजदूरों की पहचान कर लिस्ट तैयार कर ली है।

कोर्ट ने केंद्र व राज्यों से कहा, ‘प्रवासी मजदूरों के लिए रोजगार की योजनाएं लाई जाएं और उनकी कार्यकुशलता का डाटा तैयार करें। उनका पंजीकरण करने के साथ ही उनके लिए लाई गई योजनाओं का गांव और ब्लॉक स्तर पर प्रचार करें ताकि श्रमिकों को उसकी जानकारी हो।’ इससे पहले 5 जून को केंद्र ने सुप्रीमकोर्ट को बताया था कि 3 जून तक 4228 ट्रेनों से करीब 1 करोड़ प्रवासी मजदूर पहुंचाए गए। उस दिन कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

जज अशोक भूषण, संजय किशन कौल और एमआर शाह की बेंच ने केंद्र को 24 घंटों के भीतर अतिरिक्त ट्रेन मुहैया कराने का निर्देश दिया है। बेंच ने प्राधिकारियों को घर वापस जाने वाले प्रवासी मजदूरों की पहचान करने व रजिस्टर कराने का भी आदेश दे दिया है। इसके लिए कोर्ट ने 15 दिन का समय दिया है। अब इस मामले की सुनवाई अगले माह की जाएगी।

नॉवेल कोरोना वायरस के कारण देश भर में जारी लॉकडाउन का सबसे अधिक प्रभाव प्रवासी मजदूरों के वर्ग पर ही हुआ है। अपने पैतृक निवास से दूर दूसरे राज्यों में काम करने वाले ये मजदूर फैक्ट्रियों के बंद होने से खाने के मोहताज हो गए और इसलिए इन्होंने पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े।