शीतकालीन सत्र के पहले दिन संसद में विपक्ष के जोरदार हंगामे के बाद भी लोकसभा से कृषि कानून वापसी बिल पास हो गया. इसके बाद राज्यसभा से भी इसे पास कराने सरकार सफल रही. हालांकि, विपक्ष इस पर बहस करवाने की मांग करता रहा. राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि कृषि कानून निरस्तीकरण विधेयक, 2021 पर चर्चा हो, लेकिन लोकसभा में इस विधेयक को जल्दबाजी में पारित कर सरकार यह साबित करना चाहती है कि सिर्फ वो किसानों के पक्ष में है.’
खड़गे ने कहा, ‘सरकार का यह कहना गलत है कि निरस्त किए जाने वाले बिलों पर कभी चर्चा नहीं होती, इसलिए वह कृषि कानून वापसी विधेयक पर चर्चा की अनुमति नहीं देगी. इससे पहले भी 17 बार ऐसे बिलों पर बहस हो चुकी है.’ उन्होंने कहा, हम ये चाहते थे कि उस पर चर्चा हो कि क्यों इतनी देर हुई और दूसरे मुद्दे भी हैं जिन पर चर्चा हो, लेकिन उन्होंने (सरकार) टालने की कोशिश की.
राज्यसभा में दोनों पक्षों ने बदली रणनीति
लोकसभा में किसान वापसी कानून के बिना चर्चा के पारित होने के बाद राज्यसभा में सरकार और विपक्ष ने अपनी रणनीति बदली थी. राज्यसभा में जब कृषि मंत्री ने बिल पेश किया तो विपक्ष को बोलने के लिए मौका दिया गया. इस दौरान विपक्ष ने भी सदन में वेल में जाकर विरोध करने के बजाय इस बार अपनी बात रखने की कोशिश की. हालांकि, इसके बाद ये विधेयक राज्यसभा से भी पास हो गया. कृषि कानून वापसी बिल पर अब केवल राष्ट्रपति का मुहर लगना बाकी है.
सरकार के फैसले का स्वागत लेकिन चर्चा जरूरी
उन्होंने कहा, ‘हम तीन कृषि कानूनों को वापस लेने के फैसले का स्वागत करते हैं.. हमने लखीमपुर खीरी घटना और बिजली बिल सहित आंदोलन के दौरान हुई कई घटनाओं पर चर्चा की मांग की. किसान अभी भी धरना स्थल पर मौजूद हैं.’
वहीं, कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि कृषि कानून बिलों की वापसी के पीछे सरकार की कुछ और ही मंशा है. यही कारण है कि हम इस पर चर्चा की मांग कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि सरकार हम पर सदन न चलने देने का आरोप लगा रही है लेकिन हमने सिर्फ विधेयक पर चर्चा की मांग की थी, जिसे नकार दिया गया.
आरोप- 35,000 किसानों को झूठे केसों में फसाया
अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘MSP लीगल गारंटी के साथ लागू की जाए. 35,000 किसानों को झूठे केसों में फसाया गया उन्हें मुक्त कराने की मांग और आंदोलन के दौरान मृतक 700 किसानों को मुआवज़ा देने की मांग पर सदन में चर्चा के लिए मौका दिया जाना चाहिए था, लेकिन हमें सदन में बोलने नहीं दिया गया.’
इधर केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने विपक्ष की मंशा पर सवाल खड़ा किया. उन्होंने कहा, ‘आज जब कृषि कानून को निरस्त करने का विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया गया तो कांग्रेस और उनके मित्र विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी की. विपक्ष की भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग थी, जो पूरी हो रही है. इन लोगों की मंशा क्या है मैं ये सवाल करता हूं.’ साथ ही उन्होंने विपक्ष से इस विधेयक को राज्यसभा से पास कराने में सहयोग करने की बात कही.