चुनावी रणनीतिकार (election strategist) प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) कई दौर की बातचीत और तमाम अटकलों के बावजूद कांग्रेस (Congress) में शामिल नहीं हुए. लेकिन इसके बाद भी सवालों का सिलसिला खत्म नहीं हुआ कि आखिर पीके ने कांग्रेस का ऑफर क्यों ठुकराया? एक खास कार्यक्रम में खुद प्रशांत किशोर ने इस सवाल का जवाब दिया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को किसी पीके की जरूरत नहीं है, मेरा कद और किरदार इतना बड़ा नहीं है कि राहुल गांधी मुझे भाव दें।
प्रशांत किशोर ने कहा कि मुझे कांग्रेस को जो बताना था वो मैंने बता दिया. अब ये उनकी मर्जी है कि वे उस पर काम करें या ना करें. उन्होंने खुलासा किया कि, कांग्रेस को लीडरशिप को लेकर दिए सुझाव में न राहुल गांधी थे, न प्रियंका गांधी वाड्रा. हालांकि प्रशांत किशोर ने यह नहीं बताया कि आखिर नेतृत्व को लेकर उन्होंने पार्टी को क्या सलाह दी.
कांग्रेस में शामिल होने से पहले प्रशांत किशोर ने सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई वरिष्ठ नेताओं के साथ लंबी बैठकें की थी. इसमें उन्होंने एक प्रजेंटेशन दिया था जिसमें पार्टी में सुधार के लिए अहम सुझाव दिए गए थे. कई नेताओं ने पीके की सलाह का स्वागत किया था. पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा था कि, उनका चुनावी डेटा बहुत प्रभावशाली था लेकिन लीडरशिप को लेकर उनके पास कोई सुझाव नहीं था>
प्रशांत किशोर को कांग्रेस ने अधिकार प्राप्त कांग्रेस कमेटी में चुनाव प्रबंधन की कार्यात्मक जिम्मेदारी की पेशकश की थी, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. सूत्रों की मानें तो प्रशांत किशोर या तो कांग्रेस अध्यक्ष के राजनीतिक सचिव बनना चाहते थे या फिर उपाध्यक्ष बनना चाहते थे.
वहीं, कांग्रेस सूत्रों ने कहा कि, राहुल गांधी ने पहले दिन ही यह कह दिया था कि प्रशांत किशोर पार्टी में शामिल नहीं होंगे. चूंकि राहुल गांधी पहले से ही पीके को लेकर ज्यादा गंभीर नहीं थे, इसलिए वे इस दौरान विदेश चले गए. जिसके बाद प्रियंका गांधी और सोनिया गांधी से प्रशांत किशोर ने बातचीत की.
वहीं कांग्रेस के कई नेताओं को लगा कि प्रशांत किशोर कांग्रेस पार्टी में सुधार को लेकर जो सुझाव व योजना बता रहे हैं वह स्थाई नहीं है. पीके सिर्फ कांग्रेस के मंच का इस्तेमाल करना चाहते थे।