सुहागिन महिलाओं का महापर्व करवा चौथ 4 नवंबर को देशभर में मनाया जाएगा. महिलाएं इस पर्व की तैयारी काफी पहले से ही शुरू कर देती हैं. इस वर्ष महिलाओं के लिए अखंड सौभाग्य प्राप्ति योग बन रहा है और करवाचौथ पर विशेष संयोग भी है. 70 साल बाद करवा चौथ के दिन शुभ संयोग बना है. ज्योतिष जानकारों की मानें तो इस साल करवा चौथ पर सर्वार्थ सिद्धि योग के साथ- साथ शिवयोग, बुधादित्य योग, सप्तकीर्ति, महादीर्घायु और सौख्य योग का भी निर्माण हो रहा है. जो कई मायनों में बेहद खास है. तो चलिए जानते हैं कथा और पूजन शुभ मुहूर्त.
कथा और पूजन शुभ मुहूर्त
करवा चौथ कथा और पूजन का शुभ मुहूर्त 5:34 बजे से शाम 6:52 बजे तक है. चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 4 नवंबर को सुबह 3:24 बजे होगा और समापन 5 नवंबर को प्रातः 5:14 बजे होगा.इस करवाचौथ बुध के साथ सूर्य ग्रह भी विद्यमान होंगे और इसी कारण बुधादित्य योग बन रहा है. पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का निर्जला व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को लाख गुना फल मिलेगा.
शिव परिवार का पूजन
करवा चौथ का दिन यूं तो हर महिला के लिए बेहद खास होता है और सभी विवाहित महिलाएं सोलह श्रृंगार कर अच्छे से सज-धजकर तैयार होती हैं. इस दिन मां पार्वती की पूजा कर महिलाएं अखंड सौभाग्य की कामना करती हैं औरशिव परिवार का पूजन करती हैं. ये व्रत पूरी तरह से निर्जला होता है और चंद्र दर्शन के बाद ही पति के हाथों व्रत खोला जाता है. इस वर्ष चंद्रोदय शाम 7 बजकर 57 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 16 मिनट के बीच होगा.
करवा चौथ व्रत की मान्यता
करवाचौथ का व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक सुख के लिए पूरे मन से रखती हैं. हालांकि,कई जगहों पर कुंवारी लड़कियां भी करवाचौथ का व्रत अच्छे जीवनसाथी के लिए करती हैं. करवा चौथ पर मेंहदी से लेकर पूरा सोलह श्रृंगार करना चाहिए.