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कमांडर स्तर की वार्ता काफी सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई : सेना

भारत और चीन के बीच जारी तनाव के मद्देनजर गलवन घाटी के निकट चुशूल सेक्टर में  सोमवार दोनों देशों के बीच कमांडर स्तर की वार्ता को लेकर सेना ने कहा कि वार्ता काफी सौहार्दपूर्ण, सकारात्मक और रचनात्मक माहौल में हुई। दोनोंं पक्षों के बीच पीछे हटने को लेकर सहमति बनी। सेना ने कहा कि पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले सभी क्षेत्रों से पीछे हटने के तौर तरीकों पर चर्चा की गई और दोनों पक्षों द्वारा इसे आगे बढ़ाया जाएगा।

बता दें कि इससे पहले दोनों देशों के बीच गलवन घाटी में पिछले सप्ताह हिंसक झड़प के बाद गुरुवार को आखिरी बार बातचीत हुई थी। यह झड़प चीनी सैनिकों द्वारा डी-एस्केलेशन के दौरान चीनी सैनिकों द्वारा एकतरफा स्थिति में बदलाव के प्रयास के बाद हुई थी। दोनों देशों के बीच इस झड़प के बाद तनाव काफी बढ़ गया है। इस दौरान 20 भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना के दुस्साहस का बहादुरी से जवाब देते हुए अपना बलिदान दे दिया था। वहीं इस घटना में 40 से अधिक चीनी सैनिकों के मारे और घायल होने की बात बताई गई है। चीन ने झड़प के दौरान अपने सैन्य कमांडर के भारतीय सैनिकों के हाथों मारे जाने की बात कबूली है।

करीब 11 घंटे तक बैठक चली

समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार भारतीय सेना के 14 कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह और उनके चीनी समकक्ष के बीच करीब 11 घंटे तक बैठक चली। दोनों के बीच यह दूसरी बैठक थी। इससे पहले इनके बीच 6 जून को बैठक हुई थी और कई स्थानों पर दोनों पक्ष पीछे हटने के लिए सहमत हुए थे। भारत और चीन पिछले महीने से चल रहे सीमा तनाव को कम करने के लिए लगातार बातचीत कर रहे हैं।

चीनी विदेश मंत्रालय का बयान

चीनी विदेश मंत्रालय ने वार्ता को लेकर कहा कि दोनों पक्ष बातचीत और परामर्श के माध्यम से स्थिति को नियंत्रित करना चाहते हैं। दोनों पक्ष सीमा क्षेत्रों की शांति के लिए संवाद और संयुक्त कार्य जारी रखने पर सहमत हुए। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियन ने पत्रकारों से बातचीत के दौरान यह बात कही।

4 मई के पहले की स्थिति को बनाए रखने की मांग

समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, भारत पहले ही चीन से 4 मई के पहले की स्थिति को बनाए रखने की मांग कर चुका है। हालांकि, चीनी पक्ष ने भारत के इस विशिष्ट प्रस्ताव पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी थी। उन्होंने जमीन पर सैनिकों को वापस लेने का इरादा भी नहीं दिखाया था, जहां उन्होंने 10,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किए हैं।