देश की शीर्ष अदालत ने उत्तराखंड के मुख्यंमत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत को राहत देते हुए उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की सीबीआई जांच का आदेश देने संबंधी हाईकोर्ट के आदेश पर गुरुवार को फिलहाल रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट ने अब इस मामले में नोटिस जारी कर चार हफ्ते में जवाब मांगा है, लेकिन फिलहाल मुख्यमंत्री के खिलाफ रिश्वत लेने के आरोप में दर्ज हुई एफआईआर पर सीबीआई जांच को रोक दिया गया है।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट का फैसला चौंकाने वाला था. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इससे अलग हाईकोर्ट के किसी और आदेश पर टिप्पणी नहीं की है।
इस मामले में दो पत्रकारों ने आरोप लगाया था कि 2016 में झारखंड के ‘गौ सेवा आयोग’ के अध्यक्ष पद पर एक व्यक्ति की नियुक्ति का समर्थन करने के लिए राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के रिश्तेदारों के खातों में धन अंतरित किया गया था। न्यायमूर्ति अशोक भूषण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि मुख्यमंत्री को सुने बगैर ही हाईकोर्ट द्वारा इस तरह का सख्त आदेश देने से सब भौंचक्के रह गए क्योंकि पत्रकारों की याचिका में रावत के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध भी नहीं किया गया था। रावत की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा की मुख्यमंत्री को सुने बगैर प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती और इस तरह का आदेश निर्वाचित सरकार को अस्थिर करेगा।
उधर, इस मामले पर उत्तराखंड में सियासी संग्राम छिड़ा हुआ है। बेशक सीएम को राहत मिल गई है लेकिन कांग्रेस ने सरकार से इस्तीफे की मांग की है। ऐसा नहीं होने पर राजभवन कूच की चेतावनी दी है। उधर, आम आदमी पार्टी और उत्तराखंड क्रांति दल ने भी सरकार से इस्तीफा मांगा।