भारत में कई ऐसे प्राचीन किले और महल हैं, जिनके पीछे का इतिहास बहुत गहरा है, आज हम जिस किले के बारे में बात कर रहे हैं, वह कोई कहानी या झूठ नहीं है, लेकिन आज भी रात के बाद उस जगह पर जाना प्रतिबंधित है। हम जिस किले के बारे में बात कर रहे हैं वो राजस्थान के भानगढ़ का किला है। भानगढ़ के किले को लोग भूतिया किले के नाम से जानते हैं। ऐसा कहा जाता है कि भानगढ़ की राजकुमारी रत्नावती, जो केवल 18 वर्ष की थी, बहुत सुंदर थी और राजकुमारी की सुंदरता की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी, इसलिए देश के हर कोने के राजकुमार उससे शादी करना चाहते थे।
एक बार एक तांत्रिक ने राजकुमारी को देखा और तांत्रिक भी राजकुमारी के प्रति आसक्त हो गया और उसने राजकुमारी को प्राप्त करने के लिए अपने काले जादू का उपयोग करने की सोची। एक बार राजकुमारी रत्नावती अपनी सहेलियों के साथ किले से बाहर निकली और बाजार गई और उसी वक्त तांत्रिक ने राजकुमारी को पाने के लिए एक इत्र की दुकान पर इत्र की शीशी ली और की शीशी से राजकुमारी पर काला जादू करना चाहा और इसके बाद वह तांत्रिक इत्र की दुकान से थोड़ी दूर खड़ा हो गया।
जब राजकुमारी ने इत्र को सूँघा जिसमें राजकुमारी को कैद करने के लिए काला जादू किया गया था तो राजकुमारी समझ गयीं कि इसमें तंत्र मंत्र का प्रयोग किया गया है, इसके बाद राजकुमारी ने इत्र की बोतल को उठाकर पास के पत्थर पर पटक दिया! पत्थर पर पटकने के बाद बोतल टूट गई और पूरा इत्र उस पत्थर पर बिखर गया। तांत्रिक भी उसी पत्थर के पीछे छुपा हुआ था और शीशी टूट जाने पर उस तांत्रिक की मौके पर ही मौत हो गई।
मरने से पहले तांत्रिक ने श्राप दिया था कि इस किले में रहने वाले सभी लोग जल्द ही मर जाएंगे, वे फिर से पैदा नहीं हो पाएंगे, और उनकी आत्माएं हमेशा इस किले में भटकेंगी। उस तांत्रिक की मृत्यु के कुछ दिनों बाद, भानगढ़ और अजबगढ़ के बीच युद्ध हुआ जिसमें किले में रहने वाले सभी लोग मारे गए, यहां तक कि राजकुमारी रत्नावती भी श्राप से बच नहीं पाईं और उनकी भी मृत्यु हो गई। कहा जाता है कि तब से यह आत्माओं का किला बन चुका है।