पोलैंड में अबॉर्शन पर लगभग पूरी तरह से प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन तेज हो गए हैं। कोरोना के खतरे के बावजूद हजारों की संख्या में लोग शुक्रवार को सड़कों पर उतरे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। प्रदर्शन के दौरान लोगों के हाथों में पोस्टर भी थे। पोस्टरों पर लिखा था कि ‘मुझे यहां रहने में डर लगता है, ‘अबॉर्शन पर रोक अधिकारों का उल्लंघन है। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि सरकार को तुरंत कानून वापस लेना चाहिए। गत वर्ष 22 अक्टूबर को कोर्ट ने गर्भपात के संबंध में एक आदेश दिया था, जिस पर अमल करते हुए पोलैंड सरकार ने बुधवार को अबॉर्शन पर लगभग पूरी तरह से रोक लगा दी है। नए नियम के अनुसार केवल बलात्कार जैसे मामलों या उस स्थिति में जब महिला की जान को खतरा हो, गर्भपात को कानूनी रूप से मंजूरी दी जा सकेगी। इससे पहले भ्रूण में किसी भी तरह की दिक्कत आने पर महिलाएं गर्भपात करा सकती थीं। महिलाओं का कहना है कि सरकार के इस कदम ने उनकी परेशानियां बढ़ा दी हैं।
पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ और अन्य शहरों में इस कानून के विरोध के लिए पिछले कई देशों से प्रदर्शन हो रहे हैं। विरोध प्रदर्शन को लेकर कुछ महिलाओं का कहना है कि अगर भू्रण में कोई दिक्कत होने पर वो गर्भपात नहीं कर सकतीं तो फिर वो बच्चे पैदा करने की कोशिश भी नहीं करेंगी। महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाले संगठनों ने इस कानून को बेरहम बताया है। ज्ञात हो कि पोलैंड में गर्भपात से जुड़े कानून पहले से ही पूरे यूरोप में सबसे सख्त थे। हर साल 80,000 से 120,000 पोलिश महिलाएं दूसरे देशों में जाकर गर्भपात करवाती हैं।
सरकार ने लोगों से प्रदर्शन न करने की अपील की है। सरकार का कहना है कि ऐसे वक्त में जब कोरोना महामारी का खतरा बरकरार है। इस तरह भीड़ जुटाना सभी के लिए खतरनाक हो सकता है। प्रदर्शन में शामिल होने वाले लोग अपने साथ-साथ दूसरों की जिंदगी को भी खतरे में डाल रहे हैं। गौरतलब है कि पोलैंड में कोरोना संक्रमण के 6,144 नए मामले सामने आये हैं और 336 लोगों की मौत हुई है।