केंद्रीय गृह मंत्रालय (Union Home Ministry) ने 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा के लिए सुरक्षा इंतजाम और रसद व्यवस्था (Security arrangements and logistics) ‘लॉजिस्टिक अरेंजमेंट’ को लेकर एक खास योजना बनाई है। यात्रा की तैयारियों को लेकर केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई अहम बैठक में यात्रियों की सुरक्षा को लेकर खास चर्चा हुई। जम्मू-कश्मीर (Jammu and Kashmir) में पिछले कुछ समय से चिपकने वाले बम की घटनाएं सामने आई हैं। इसके अलावा ड्रोन (drone) हमले की आशंका भी जताई गई है। इन दोनों तरह के हमलों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय, जम्मू कश्मीर प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियों (Jammu and Kashmir administration and security agencies) को सकते में डाल दिया है। आतंकियों और उनके ‘अंडर ग्राउंड वर्कर’ द्वारा बड़े स्तर पर हैंड ग्रेनेड का इस्तेमाल भी चिंता का कारण बना हुआ है।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी सूरत में आतंकियों की बुरी नजर ‘अमरनाथ यात्रा’ पर न पड़े। यात्रा के लिए वाहन, ठहराव शिविर, रास्ते में लैंड स्लाइडिंग से मार्ग बाधित होना और आतंकियों से यात्रा की पूर्ण सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। इनके मद्देनजर इस बार अमरनाथ यात्रा (Pilgrimage to Amarnaath) की सुरक्षा के लिए पहले के मुकाबले सुरक्षाबलों की करीब 15 फीसदी अतिरिक्त कंपनियां यात्रा मार्ग पर तैनात की जाएंगी।
गृह मंत्री की अध्यक्षता वाली इस उच्चस्तरीय बैठक (high level meeting) में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, जम्मू कश्मीर के एलजी मनोज सिन्हा, केंद्रीय गृह सचिव मनोज भल्ला, आईबी निदेशक अरविंद कुमार, जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव डॉ. एके मेहता, डीजीपी दिलबाग सिंह, सीआरपीएफ डीजी कुलदीप सिंह, बीएसएफ डीजी पंकज सिंह और एसीएस ‘होम’ के अलावा कई अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बता दें कि पिछले कुछ दिनों से जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले बढ़ गए हैं।
कश्मीरी पंडितों (Kashmiri Pandits) का मामला फिर से गरम है। सूत्रों के मुताबिक आईएसआई ने इस वक्त जम्मू कश्मीर (Jammu and Kashmir) में अशांति फैलाने के लिए पूरा जोर लगा रखा है। अमरनाथ यात्रा को बाधित करने का प्रयास हो रहा है। ऐसी खुफिया सूचनाएं भी मिली हैं कि आईएसआई और पाकिस्तान के आतंकी संगठन मिलकर अमरनाथ यात्रा मार्ग पर हमला कर सकते हैं। इसके लिए घाटी में आईएसआई ने बड़े स्तर पर ओवर ग्राउंड वर्कर को सक्रिय किया है।
कोविड महामारी के बाद ये पहली यात्रा है। अत्यधिक ऊंचाई के कारण अगर लोगों को किसी तरह की स्वास्थ्य सम्बंधित समस्या हो, उसके लिए पर्याप्त इंतज़ाम करने होंगे। 6000 फीट से अधिक की ऊंचाई पर पर्याप्त चिकित्सा बेड और किसी भी आपात चिकित्सा स्थिति से निपटने के लिए एयर एंबुलेंस और हेलीकाप्टर तैनात किए जाएंगे। जम्मू कश्मीर के मुख्य सचिव ने कहा कि पहली बार हर अमरनाथ यात्री को एक आरआईएफडी कार्ड दिया जाएगा और पांच लाख रुपये का बीमा करवाया जाएगा।
यात्रा के लिए टेंट सिटी, यात्रा मार्ग पर वाईफाई हॉटस्पॉट और समुचित प्रकाश की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही बाबा बर्फानी के ऑनलाइन लाइव दर्शन, पवित्र अमरनाथ गुफा में सुबह और शाम की आरती का सीधा प्रसारण और बेस कैंप में धार्मिक व सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। जम्मू-कश्मीर में सेना, सीआरपीएफ और पुलिस की संयुक्त टीम ने इस साल अप्रैल तक 64 आतंकियों का खात्मा किया है। अप्रैल माह में 14 एनकाउंटर हुए थे, जिनमें 23 आतंकी मारे गए। दो जवान शहीद हुए हैं। मारे गए आतंकियों में से 39 आतंकी, पाकिस्तान व आईएसआई समर्थित ‘लश्कर-ए-तैयबा’ संगठन से जुड़े थे।
14 एनकाउंटर में से 13 एनकाउंटर, अकेले कश्मीर क्षेत्र में हुए हैं। मारे गए 64 आतंकियों में से 17 आतंकी विदेशी थे। बाकी 47 आतंकी स्थानीय थे। जैश-ए-मोहम्मद के 17 आतंकी, हिज्ब-उल-मुजाहिदीन के छह आतंकी और अल बदर समूह के दो आतंकियों को सुरक्षाबलों ने मुठभेड़ में मार गिराया था। पाकिस्तान की तरफ पीओके में स्थित कई लांचिंग पैड पर करीब ढाई सौ आतंकी घुसपैठ के लिए तैयार बैठे हैं, लेकिन सीमा पर भारतीय सुरक्षा बलों की मुस्तैदी से वे आतंकी बॉर्डर पार करने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं। पिछले दिनों जम्मू इलाके में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीएसएफ ने एक सुरंग का पता लगाया था। इसका एक सिरा पाकिस्तान की सीमा में खुल रहा था।
जम्मू कश्मीर में अभी 168 आतंकी बताए जाते हैं। सुरक्षाबलों के मुताबिक, 12 मई तक कुल 75 आतंकी मारे जा चुके हैं। पिछले 11 माह के दौरान एलओसी पर घुसपैठ के 12 असफल प्रयास हुए हैं। सुरक्षाबलों ने पिछले साल 180 आतंकी मारे थे, जबकि 495 ओवर ग्राउंड वर्कर गिरफ्तार कर लिए गए थे। खास बात ये है कि सुरक्षाबलों ने सटीक इंटेलिजेंस के बल पर पहले चार माह में 80 ओवर ग्राउंड वर्कर पकड़ लिए थे। अब सुरक्षाबलों की नजर 168 आतंकियों पर है। इनमें से अधिकांश आतंकी, लश्कर ए तैयबा से संबंधित बताए जाते हैं।
हिजबुल मुजाहिदीन के अलावा लश्कर के आतंकी समूह ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) के भी कई आतंकी घाटी में मौजूद हैं। जैश-ए-मोहम्मद और अल-बद्र जैसे आतंकी संगठन भी अपना वर्चस्व बचाने की लड़ाई लड़ रहे हैं। घाटी में सिविल किलिंग के पीछे टीआरएफ जैसे छोटे संगठनों का हाथ रहा है। इस संगठन के सदस्य एलईटी के ओवर ग्राउंड वर्कर के तौर पर काम करते हैं।
गृह मंत्रालय में हुई बैठक के दौरान चिपकने वाले बम से रसद वाहनों को बचाने के लिए प्लान बनाया गया है। अमरनाथ यात्रा के दौरान टारगेट किलिंग को रोकना सुरक्षा बलों की प्राथमिकता रहेगी। रसद सामग्री वाले स्थानों पर ड्रोन के जरिए नजर रखी जाएगी। यात्रियों के शिविरों पर हमला न हो, इसके लिए त्रिस्तरीय सुरक्षा घेरा बनाया गया है। सुरक्षाबलों का प्रयास है कि यात्रा में शामिल वाहनों को ऐसे स्केनर से गुजारा जाए, जहां पर किसी भी संदिग्ध वस्तु की पहचान की जा सकती है।
आईईडी का पता लगाने के लिए सुरक्षा बलों की कई टीमों का गठन किया गया है। उपकरणों के अलावा खोजी कुत्ते भी इस काम में सुरक्षा बलों की मदद करेंगे। दो साल से सीमावर्ती इलाकों में ड्रोन के जरिए हथियार और नशे की सामग्री गिराई जा रही है। हालांकि इनमें से सुरक्षाबलों ने ज्यादातर प्रयासों को असफल बना दिया है। ड्रोन को देखते ही उस पर फायर कर दिया जाता है। आतंकियों के आत्मघाती दस्तों से यात्रा रूट को सुरक्षित रखने के लिए फुलप्रूफ इंतजाम किया गया है। यात्रियों को आपातकालीन मदद एवं चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के लिए इस बार विशेष शिविरों की दूरी कम कर दी गई है। एंबुलेंस भी कम दूरी पर तैनात रहेंगी।
इसके अलावा रूट की चौकसी के लिए अधिक संख्या में रोड ओपनिंग पार्टी लगाई जा रही हैं। विशेषकर घाटी में आतंकियों के ओवर ग्राउंड वर्कर को लेकर बैठक में चर्चा की गई है। जम्मू कश्मीर पुलिस ने इंटेलिजेंस और सुरक्षाबलों की मदद से ऐसे वर्कर का पता लगाया जा रहा है। पुलिस एवं केंद्रीय एजेंसियां, ओवर ग्राउंड वर्कर के मददगारों की तलाश में जुटी हैं। एलजी मनोज सिन्हा ने बैठक में कहा, अब आतंकियों की बौखलाहट सामने आ रही है। घुसपैठ पर काफी हद तक रोक लगी है। नई भर्ती के लिए आतंकियों को स्थानीय युवक नहीं मिल रहे हैं।
मौजूदा समय में घाटी में जितने भी आतंकी छिपे हैं, उन्हें देर सवेर खत्म कर दिया जाएगा। चूंकि जम्मू कश्मीर में परिसीमन आयोग की रिपोर्ट आ चुकी है, इसलिए वहां पर विधानसभा चुनाव की संभावना बढ़ गई है। केंद्र सरकार का प्रयास है कि चुनाव से पहले जम्मू कश्मीर में पूर्ण शांति स्थापित हो जाए। अमरनाथ यात्रा के बाद विधानसभा चुनाव को लेकर कोई घोषणा हो सकती है।