अगर आपका कोई बच्चा विदेश में पढ़ाई कर रहा हो या फिर आपका कोई रिश्तेदार विदेश में रह रहा हो, जिसे आप प्रतिमाह पैसे भेजते हो, तो यह खबर आपके लिए बड़े काम की है, ऐसा इसलिए, चूंकि फाइनेंस एक्ट के तहत अब एक नियम लाया गया है। इस नियम के आने के बाद अब आपके लिए विदेश में पैसा भेजना महंगा हो गया है। यह नियम एक अक्टूबर 2020 से पूरे देश में लागू हो चुका है, लिहाजा अगर अब आप विदेश में पैसा भेजते हैं, तो इसके लिए आपको 5 फीसद शुल्क टीसीएस के तौर पर चुकाना होगा। सरकार ने यह कदम अभी हाल ही में उठाया है, जिससे उन सभी लोगों को अब विलायत पैसा भेजना महंगा पड़ जाएगा, जिन्हें हर महीने पैसा भेजने पड़ते हैं।
आखिर क्या होता है ये TCS
अब यहां पर हम आपको बताते चले कि आखिर यह TCS क्या होता है? आखिर ऐसी क्या जरूरत आन पड़ी कि सरकार को यह नियम लेकर आना पड़ा, तो हम आपको बता दें कि फाइनेंस एक्ट 2020 के मुताबिक, रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS) के तहत अब विदेश में पैसा भेजने वाले शख्स को 5 फीसद टीसीएस देना होगा। यह नियम इसलिए लाया गया है कि क्योंकि एलआरएस के तहत आप 2.5 लाख डॉलर सालाना भेज सकते हैं, जिस पर किसी प्रकार का कोई शुल्क व टैक्स नहीं लगता है, जिसको मद्देनजर रखते हुए अब सरकार फाइनेंस एक्ट में बदलाव करते हुए टीसीएस लेकर आई है, जिसके तहत अब आपको विदेश पैसा भेजने पर शुल्का अदा करना होगा।
अगर हम इस पूरी तस्वीर को आयकर विभाग के कानून के नजरिए से समझने की कोशिश करें तो सेक्शन 206C (1G) के तहत TCS का दायरा बढ़ाते हुए इसे लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम पर लागू करने का फैसला कर लिया है। उधर, रेमिटेंस का मतलब होता है कि देश से बाहर पैसा भेजना, जिसमें ट्रैवल, शैक्षणिक खर्च इत्यादी शामिल किए जाते हैं। अब इस नए नियम के तहत अगर किसी ग्राहक के द्वारा 7 लाख या फिर उससे अधिक रकम विदेश में भेजता है, तो फिर उसे 5 फीसद टीसीएस के रूप में शुल्क अदा करना होगा।
आखिर क्या होता है LRS
यदि हम आपको एलआरएस के बारे में बताते चले तो यह आरबीआई की स्कीम होती है। यह स्कीम आपको विदेश में संपत्ति खरीदने, एनआरआई का लोन विस्तारित करना, वित्त वर्ष के भीतर 2.50 लाख डॉलर (करीब 1.50 करोड़ रुपये) तक के कैपिटल सहित वित्तीय लेन देन की अनुमति देती है। इसके इतर यह विजिट्स, बिजनेस ट्रिप्स, गिफ्टस, डोनेशन, मेडिकल ट्रीटमेंट, नजदीकी रिश्तेदारों की देखभाल आदि के लिए एक वित्त वर्ष में 2.50 लाख डॉलर तक के करंट अकाउंट के लेन देन की अनुमति देती है।