भारतीय जनता पार्टी ने उन्नाव जिले की 51 जिला पंचायत सीटों पर अपने अधिकृत प्रत्याशियों के नाम की घोषणा कर दी है। संगठन ने रेप केस के दोषी कुलदीप सिंह सेंगर की पत्नी पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सिंह सेंगर को चुनाव मैदान में उतारा है। इसके साथ ही पूर्व ब्लाक प्रमुख और पूर्व जिलाध्यक्ष को भी समर्थन दिया है। खासबात तो यह है कि विधानसभा तक पहुंचने का ख्वाब देख रहे तमाम नेता जिला पंचायत सदस्य के लिए जोर आजमाएंगे। टिकट की घोषणा के बाद से ही जिला पंचायत अध्यक्ष को लेकर शह मात का खेल चलने लगा।
संगठन की ओर से जारी की गई लिस्ट में कई चेहरे नए भी हैं। हालांकि पार्टी ने पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष संगीता सेंगर को फतेहपुर चौरासी चतुर्थ से प्रत्याशी बनाया गया है। इसके अलावा भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष अविनाश चंद्र उर्फ आनंद आवस्थी को सिकंदरपुर सरोसी प्रथम से प्रत्याशी बनाया गया है। नवाबगंज के पूर्व ब्लॉक प्रमुख अरुण सिंह औरास द्वितीय से टिकट मिला है। आनंद अवस्थी पूर्व में उन्नाव सदर से विधानसभा सदस्य के लिए चुनाव लड़ चुके हैं। हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली थी। संगीता सिंह सेंगर बांगमरऊ उप चुनाव में भाजपा से टिकट मांग रही थी। हालांकि उन्हें टिकट नहीं मिला था।
वहीं पूर्व ब्लाक प्रमुख अरुण सिंह भी बांगरमऊ से दावेदारी कर रहे थे। नवाबगंज ब्लाक प्रमुख की सीट आरक्षित होने के बाद अरुण सिंह अपनी राजनीति मजबूत करने के लिए जिला पंचायत सदस्य बनने हेतु मैदान में आ गए। जिला पंचायत अध्यक्ष पद के पूर्व प्रत्याशी प्रवेश सिंह उर्फ सिंडीकेट को बिछिया द्वितीय से प्रत्याशी बनाया गया है।
कमल का निशान लगाकर करने लगे प्रचार
भाजपा की ओर से जैसे ही समर्थित उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की गई सफलता पाने वाले दावेदारों की वांछे खिल गई। वह भूल गए कि भाजपा ने सिर्फ समर्थन दिया है अपना चुनाव चिह्न नहीं दिया है। अति उत्साह में तमाम दावेदारों ने कमल चुनाव निशान लगाकर अपना फोटो सोशल मीडिया पर जारी कर दिया। हालांकि सोशल मीडिया पर उनकी खूब चुटकी ली जा रही है।
अध्यक्ष के लिए होगा घमासान
भाजपा की ओर से समर्थित उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करने के बाद से ही सवाल तेजी से उछला कि अगला जिला पंचायत अध्यक्ष कौन होगा। अगर भाजपा के समर्थित उम्मीदवारों की जीत हुई और वह बहुमत में आई तो अध्यक्ष के लिए घमासान होना तय माना जा रहा है। भाजपा के दिग्गज अंदर खाने में ताकत लगाए हैं कि उनके पक्ष का दावेदार चुनाव जीते और उसे ही जिला पंचायत अध्यक्ष का टिकट मिले। हालांकि यह तस्वीर 2 मई को साफ हो पाएगी कि कौन जीतेगा और कौन हारेगा। कयास लगाया जा रहा है कि संगठन यह देखने में लगा है कि कौन प्रत्याशी कितने पानी में है और कितने अंतर से जीतकर आता है।
पार्टी के विरोध को थामना आसान नहीं
पंचायत चुनाव में पार्टी समर्थित उम्मीदवारों की लिस्ट जारी होने के बाद से ही पार्टी में भितरघात शुरू हो गया है। दावेदारी कर रहे जिन लोगों को टिकट नहीं मिला वह खुलकर नहीं तो अंदर ही अंदर विरोध कर सकते हैं। मुद्दा यह है कि कई प्रत्याशी ऐसे हैं जो दूसरे ब्लाक के हैं। ऐसे में उनको स्थानीय नेताओं का समर्थन मिलेगा की नहीं यह तो वक्त ही बताएगा।