भारत और इस्राइल के वैज्ञानिकों द्वारा संयुक्त रूप से बनाई गई कोरोना वायरस की नई जांच तकनीक चंद दिनों में सामने आ सकती है। इसे ओपन स्काई नाम दिया गया है। इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ ये है कि व्यक्ति को एक विशेष तरह के ट्यूब में फूंक मारनी होगी। इसके बाद एक मिनट के भीतर जांच रिपोर्ट मिल जाएगी और पता चल जाएगा कि उसके भीतर कोरोना वायरस है या नहीं। इस तकनीक को महामारी के बीच गेम चेंजर माना जा रहा है।
इस्राइल के भारत में दूतावास अधिकारी रॉन मल्का ने बताया है कि इस्राइल चाहता है कि भारत इस रैपिड टेस्टिंग किट के उत्पादन का हब बने। इस जांच किट का प्रोजेक्ट एडवांस्ड स्टेज में हैं, मुझे लगता है कि ये कुछ चंद दिनों की बात है जैसा की मैंने इस प्रोजेक्ट से जुड़े लोगों से सुना है। संभव है कि दो से तीन सप्ताह में इसपर निर्णय हो जाएगा और महामारी में इसका लाभ लोगों को मिल सकेगा।
भारत और इस्राइल के वैज्ञानिकों ने बड़ी संख्या में सैंपल एकत्र करने के बाद चार तरह की तकनीक पर परीक्षण किया था। इसमें ब्रेथ एनालाइजर और आवाज की जांच से संक्रमण की पहचान की तकनीक अहम थी। इसके अलावा आइसोथर्मल टेस्टिंग तकनीक से लार में वायरस की मौजूदगी तो पॉली एमिनो एसिड की मदद से वायरस के प्रोटीन को अलग कर उसकी पहचान संभव है। कुल दस तरह की तकनीक पर परीक्षण के बाद वैज्ञानिकों ने इन चार तकनीकों को अंतिम परीक्षण के लिए चुना था।
रॉन के अनुसार, ट्यूब में बोलने से संक्रमण की पहचान होने की तकनीक से भविष्य की राह आसान होगी। एयरपोर्ट जैसे अन्य स्थानों पर इसकी मदद से सेकंडों में वायरस की पहचान हो सकती है। सबसे अच्छी बात ये है कि ये सस्ती है और सैंपल को भेजने की फिक्र नहीं होगी और इस पर खर्च होने वाली लागत भी बचेगी। वैक्सीन को लेकर भी दोनों देश एक साथ काम कर रहे हैं। वैक्सीन पर कामयाबी मिलती है तो बड़ी संख्या में इसका उत्पादन भारत में होगा।