इस्लामाबाद हाईकोर्ट (Islamabad High Court) ने इमरान खान (Imran Khan) को नौ मामलों में जमानत याचिकाओं पर एक दिन की मोहलत देते हुए गुरुवार को व्यक्तिगत रूप से पेश होने को कहा। कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी कि वह सुनवाई से पूर्व प्रधानमंत्री (former Prime Minister) की लगातार अनुपस्थिति पर उनकी अंतरिम जमानत रद्द कर सकता है।
यह निर्देश पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) प्रमुख की नौ मामलों में जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान जारी किया गया, जिनमें से दो मामलों की सुनवाई इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस (सीजे) आमिर फारूक और सात मामलों की जस्टिस फारूक और जस्टिस मियां गुल हसन औरंगजेब की दो सदस्यीय खंडपीठ ने की।
सुनवाई के दौरान इस्लामाबाद हाईकोर्ट ने खान की लगातार अनुपस्थिति पर नाराजगी जाहिर की और चेतावनी दी कि अगर वह गुरुवार को अदालत के समक्ष पेश नहीं हुए तो उनकी अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी।
इस्लामाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस द्वारा जिन दो मामलों पर सुनवाई की गई, उनमें एक विद्रोह का मामला है और दूसरा हत्या (the killing) के प्रयास का आरोप है। इन दोनों मामलों में राहत की मांग की गई थी। जबकि एक खंडपीठ ने इस्लामाबाद में संघीयल न्यायिक परिसर के बाहर हिंसा से जुड़े सात मामलों पर सुनवाई की।
हाईकोर्ट ने 18 अप्रैल को संघीय न्यायिक परिसर के बाहर हिंसा सहित आठ मामलों में खान की जमानत तीन मई तक बढ़ा दी थी। पीटीआई प्रमुख ने जमानत बढ़ाने और कोर्ट में पेशी में छूट का अनुरोध किया था। उनके अनुरोध को स्वीकार करते हुए जस्टिस फारूक ने तब स्पष्ट किया था कि अगर खान तीन मई को अदालत में पेश नहीं होते हैं तो सभी मामलों में उनकी अंतरिम जमानत (Interim bail) रद्द कर दी जाएगी।
इससे पहले दिन में चीफ जस्टिस फारूक ने पीएमएल-एन के विधायक मोहसिन शाहनवाज रांझा द्वारा पिछले साल दायर हत्या के प्रयास के आरोपों से जुड़े एक मामले में खान की जमानत याचिका स्वीकार की थी। उन्होंने विभिन्न मामलों में की लगातार अनुपस्थिति पर असंतोष व्यक्त करने के बाद खान को बुधवार को ही कोर्ट में उपस्थित होने के लिए कहा था।