पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Assembly Election) से पहले नेताओं का दल-बदल का दौर जारी है. बुधवार को शिरोमणि अकाली दल (Shiromani Akali Dal) के पूर्व नेता जगदीप सिंह नकई (Jagdeep Singh Nakai), रविप्रीत सिंह सिद्धू (Ravipreet Singh Siddhu), हरभग सिंह देसु (Harbhag Singh Desu) और कांग्रेस (Congress) के पूर्व विधायक शमशेर सिंह राय (Shamsher Singh Rai) ने बीजेपी का दामन थाम लिया है. नई दिल्ली स्थित पार्टी दफ्तर में तीनों नेता बीजेपी में शामिल हुए.
पंजाब में किसानों के विरोध का सामना कर रही बीजेपी ने एक नई रणनीति के तहत अब अकाली दल और कांग्रेस के नेताओं को अपनी पार्टी में शामिल करना शुरू कर दिया है. सूत्रों ने बताया कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद बीजेपी का इरादा अब पंजाब में अपने दम पर वापसी करने का है. यही वजह है कि अब वह अपनी इस रणनीति के तहत अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल कर रही है. इसका ताजा उदाहरण आज देखने को मिला है, जब अकाली दल और कांग्रेस के नेताओं ने बीजपी का दामन थामा.
कृषि कानूनों की वजह से बढ़ी थी बीजेपी की मुश्किल
एक अन्य सूत्र ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों को वापस लिए जाने से पहले उसे पंजाब में बहुत विरोध झेलना पड़ा. स्थिति इतनी बिगड़ चुकी थी कि किसान आंदोलन के समर्थक लोग अपने यहां पर बीजेपी के नेताओं को प्रचार नहीं करने दे रहे थे. वहीं, मंगलवार को कांग्रेस विधायक फतेह सिंह बाजवा और बलविंदर सिंह लड्डी ने केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की मौजूदगी में दिल्ली में बीजेपी में शामिल हुए. बाजवा कांग्रेस के राज्यसभा (Rajya Sabha) सदस्य प्रताप सिंह बाजवा के भाई हैं.
इन नेताओं ने भी थामा बीजेपी का दामन
इससे पहले, अकाली दल के नेता गुरतेज सिंह गुंधियाना, यूनाइटेड क्रिश्चियन फ्रंट पंजाब के अध्यक्ष कमल बख्शी, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एडवोकेट मधुमीत, वाला से सिविक बॉडी मेंबर निहाल सिंह, संगूर से पूर्व सांसद जगदीप सिंह धालीवाल और पूर्व क्रिकेटर दिनेश मोंगिया भी पार्टी में शामिल हुए. इन सभी लोगों के बीजेपी में शामिल होने से ये उम्मीद बंधी है कि कृषि कानूनों की वजह से पंजाब में जो पार्टी को नुकसान हुआ है, उसकी भरपाई हो सकेगी. इसके अलावा, राज्य का राजनीतिक माहौल उसके पक्ष में आ सकेगा.