आरएसएस (RSS) के सरसंघचालक (chief) मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) ने कहा कि हम अपने देश से केवल प्रेम (Love) ही नहीं करते, बल्कि उसकी भक्ति (Devotion) करते हैं। यहां की नदियों का पानी पीते हैं। यहीं का अनाज खाते हैं। यहीं की हवा में सांस लेते हैं। यहां की परंपरा से लगाव रखते हैं।
जीवन कैसा होना चाहिए, ये हम भाषण, ग्रंथों में सुन और पढ़ सकते हैं। लेकिन, करने की हिम्मत तभी होती है, जब कोई अपने जैसा करके दिखाए। ये हमारे वीर जवानों ने करके दिखाया है, जो हमारे ही गांवों से गए हैं। इसलिए वे हमारे लिए मिसाल बन जाते हैं। हम अपने बच्चों को उनकी कहानियां बताते हैं। धामूपुर स्थित शहीद पार्क में परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की जयंती समारोह में सोमवार को भागवत ने कहा, चीन, पाकिस्तान ने भारत पर जब भी हमला किया, तब भारतीय आपसी मनमुटाव भूलकर एक साथ खड़े हो गए क्योंकि हमारे मूल में ही एकता है।
उन्होंने कहा कि तमिलनाडु के कुछ लोग बोलते हैं कि हम भारत से अलग हैं। उत्तर के लोग अलग हैं। हिंदी हमको नहीं चाहिए। हम तमिल हैं। हमारा एक अलग राज्य है। लेकिन 1962 में चीन का भारत पर आक्रमण हुआ। उस समय चेन्नई मलिना ब्रिज के पास सेना की विशाल सभा हुई।
इस सभा में तत्कालीन मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह हिमालय नहीं, तमिलनाडु पर हमला है क्योंकि वह अवसर ऐसा था कि जिसकी हम सब भक्ति करते हैं। भारत माता के सम्मान की बात थी तो जो अंदर का सच है, वह बाहर आ गया। हम सबका खान-पान अलग हो सकता है, लेकिन डीएनए एक है।
मैं दूसरे देशों के बारे में नहीं जानता, लेकिन भारत के सैनिक अपने वेतन के लिए नहीं लड़ते, वे देश के लिए लड़ते हैं, इसलिए उदाहरण बनते हैं। इनमें से एक अमर शहीद वीर अब्दुल हमीद भी हैं। चीन, पाकिस्तान ने भारत पर जब भी हमला किया, तब यहां के लोग आपस में लड़ना छोड़ देते हैं। और एक साथ खड़े हो जाते हैं, क्योंकि हमारे मूल में ही एकता है।
संघ प्रमुख सोमवार को धामूपुर स्थित शहीद पार्क में परमवीर चक्र विजेता वीर अब्दुल हमीद की जयंती समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे। उन्होंने वीर अब्दुल हमीद पर अंग्रेजी में लिखी गई 160 पेज की किताब मेरे पापा परमवीर का लोकार्पण भी किया।
शहीदों का अनुकरण करें
संघ प्रमुख ने कहा कि दुनिया को हमारे देश की आवश्यकता है। इसलिए हमें बचना भी चाहिए और बढ़ना भी चाहिए। हम सब शहीदों का स्मरण और अनुकरण करके अपने जीवन में परिवर्तन ला सकते हैं। इस मौके पर संघ प्रमुख ने कैप्टन मकसूद गाजीपुरी की ओर से लिखी गई बलिदानियों पर पुस्तक का भी लोकार्पण किया।
गांव की भी चिंता करते थे अमर शहीद अब्दुल हमीद
संघ प्रमुख ने कहा, अब्दुल हमीद गांव की भी चिंता करते थे। उनका जीवन सब के लिए उदाहरण बन गया। उनकी जयंती पर हर वर्ष आना चाहिए। वास्तव में शहीद अमर हो जाते हैं। शहीद का बलिदान महान होता है। उनका स्मरण रखना है। दो बातों का संकल्प लेना है, जिसे सालभर में पूरा करना है।