अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने अपने अफगान समकक्ष अशरफ गनी से फोन पर बात की और उनको यह भरोसा दिया है कि अमेरिका उनके देश की कूटनीतिक और मानवीय आधार पर मदद करता रहेगा। यह आश्वासन ऐसे समय दिया गया, जब अफगानिस्तान में तालिबान अपना दायरा ब़़ढाता जा रहा है। इससे अमेरिका समर्थित अफगान सरकार दबाव में आ गई है। व्हाइट हाउस के बयान के अनुसार, बाइडन और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति गनी के बीच शुक्रवार को फोन पर बात हुई। दोनों नेता इस बात पर सहमत हुए कि तालिबान का मौजूदा हमला बातचीत का समर्थन करने के उलट है।
बाइडन ने गनी से कहा कि अमेरिका स्थायी और राजनीतिक समाधान निकालने के लिए कूटनीतिक तौर पर समर्थन करता रहेगा। समाचार एजेंसी प्रेट्र के अनुसार, व्हाइट हाउस की प्रवक्ता जेन साकी ने कहा, ‘हमारा मानना है कि अफगानिस्तान में स्थायी शांति सिर्फ राजनीतिक समाधान से हो सकती है। हम यहां की सरकार को मानवीय और सुरक्षा आधार पर सहायता मुहैया कराते रहेंगे।’ व्हाइट हाउस ने यह भी बताया कि राष्ट्रपति बाइडन ने अफगान शरणार्थियों के लिए दस करो़़ड डालर ([करीब 740 करो़़ड रपये)] की आपात सहायता की घोषणा भी की।
हिंसा बंद करे तालिबान
समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन और नाटो ([नार्थ अटलांटिक ट्रीटी आर्गनाइजेशन)] ने तालिबान से अफगानिस्तान में हिंसा बंद करने और शांति वार्ता में शामिल होने की अपील की है। अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, नाटो, फ्रांस, जर्मनी, नार्वे और ब्रिटेन के विशेषष राजदूतों की रोम में गुरवार को हुई बैठक में अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा हुई।
ताजिकिस्तान–अफगान सीमा पर रूस ने तैनात किए सैनिक
रूस ने ताजिकिस्तान और अफगानिस्तान की सीमा पर सेना की तैनाती कर दी है। यहां छह हजार से ज्यादा रूसी सैनिक भेजे गए हैं। यह कदम अफगानिस्तान में तालिबान के ब़़ढते हमले से उपजे खतरे के मद्देनजर उठाया गया है। इधर, प्रेट्र के मुताबिक, पाकिस्तान ने अफगान सीमा पर नियमित सैनिकों की तैनाती कर दी है।