अफगानिस्तान (Afghanistan) के पूर्व राष्ट्रपति अशरफ गनी (Ashraf Ghani) के भाई हशमत गनी (Hashmat Ghani) ने कहा है कि उन्होंने तालिबान (Taliban) को स्वीकार कर लिया है लेकिन उनका समर्थन नहीं करते हैं. गनी ने दावा किया कि उन्होंने देश को अस्थिरता से बचने के लिए तालिबान को ‘स्वीकार’ किया. गनी ने कहा कि सत्ता परिवर्तन के दौरान में मदद करने के लिए उन्होंने देश में रहना पसंद किया. हालांकि गनी ने यह भी कहा कि वह तालिबान को समर्थन नहीं देते. उन्होंने कहा कि तालिबान को स्वीकार करना देश को आगे की राजनीतिक और आर्थिक समस्याओं को दूर करने का फैसला है. उन्होंने कहा कि तालिबान के कब्जे के बाद कई बिजनेस लीडर्स देश छोड़कर चले गए.
प्रमुख व्यवसायी और खानाबदोश कोचि आबादी के नेता ने कहा- ‘मैंने तालिबान को स्वीकार कर लिया है लेकिन उनका समर्थन नहीं करता … ‘समर्थन’ एक बहुत मजबूत शब्द है. नियंत्रण के बाद वह क्या करेंगे, अभी यह देखना बाकी है.’ जब उनसे पूछा गया कि पश्चिमी सुरक्षा बलों के जाने के बाद भी क्या काबुल हवाई अड्डे पर हिंसा होगी तो गनी ने कहा- ‘मुझे ऐसा नहीं लगता. उन्होंने (तालिबान ने) अफगान व्यवसायों के प्रति शिष्टाचार दिखाया है. वे कहते हैं कि वे महिलाओं को काम करने देंगे. हमें उम्मीद है कि वह ऐसा करेंगे.’
एक रिपोर्ट के अनुसार हशमत ने कहा ‘अर्थव्यवस्था को दोबारा पटरी पर लाने के लिए शिक्षित वर्गों को तालिबान के साथ काम करने का मन बनाना चाहिए.’ हशमत ने कहा कि ‘वे (तालिबान) सुरक्षा जानते हैं. वे इसे बहुत अच्छी तरह से संभाल सकते हैं, लेकिन एक सरकार सुरक्षा से अधिक है, और यही वह जगह है जहां शिक्षित वर्ग मदद कर सकते हैं. मैं रुक गया ताकि शिक्षित और व्यापारी समुदाय को के लोगों को मना सकूं. व्यापार जगत के नेताओं का जाना विनाशकारी है.’