पंजाब के वन और वन्य जीव सुरक्षा मंत्री लाल चंद कटारूचक्क ने बुधवार को राज्य के वेटलैंड में इको टूरिज्म को उत्साहित करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुये कहा कि इससे स्थानीय स्तर पर रोज़गार के मौके पैदा होंगे। श्री कटाररूचक्क ने पंजाब राज्य वेटलैंड अथॉरिटी की मीटिंग की अध्यक्षता करते हुये वातावरण संतुलन को कायम रखने के लिये वेटलैंड के विकास को महत्वपूर्ण कदम बताया।
इसके इलावा मंत्री ने विभाग के अधिकारियों को वन क्षेत्रों में माइनिंग पर सख़्ती से नकेल कसने के भी निर्देश भी दिये। मंत्री को बताया गया कि जैविक विभिन्नता को उत्साहित करने के साथ-साथ वेटलैंड को बचाने के लिए चलाई गई वैटलैंड बचाओ मुहिम के हिस्से के तौर पर, पंजाब में 1381 वैटलैंडज़ की पहचान की गयी है, जिनमें से 414 कुदरती और 967 मानव द्वारा बनाये गये हैं और हरेक वैटलैंड के अधीन 2.25 हेक्टेयर क्षेत्रफल आता है।
इसके इलावा, तकरीबन 2300 वेटलैंड मित्र ( वालंटियर) वेटलैंड की संभाल के लिये काम कर रहे हैं और लोगों को वेटलैंड को सुरक्षित रखने की ज़रूरत और उनके वातावरण महत्व के बारे अवगत करवाने के लिए जागरूकता प्रोग्राम भी करवाये जा रहे हैं। इतना ही नहीं, राज्य में वेटलैंड की संभाल के लिए डब्ल्यू. डब्ल्यू. एफ. इंडिया, पंजाब रिमोट सेंसिंग सेंटर पी. ए. यू. लुधियाना, गुरू नानक देव यूनिवर्सिटी, अमृतसर, गुरू अंगद देव यूनिवर्सिटी आफ वेटरनरी एंड एनिमल सायंसज़ ( लुधियाना) और पंजाब प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ( पीपीसीबी) के साथ सहयोग किया गया है। इसके अलावा मंत्री के ध्यान में यह भी लाया गया कि केंद्रीय वातावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पंजाब के 7 वेटलैंड रणजीत सागर डैम कंजरवेशन रिज़र्व, ब्यास रिवर कंजरवेशन रिज़र्व, कांजली वैटलैंड, हरीके वैटलैंड, रोपड़ वैटलैंड कंजरवेशन रिज़र्व, नंगल वैटलैंड और केशोपुर-मियानी वैटलैंड के आसपास 100 मीटर के क्षेत्र को जोन आफ इनूफेयंस के क्षेत्र के तौर पर घोषित करने के विभाग के प्रस्ताव को स्वीकृत कर लिया है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में कोई भी गतिविधि राज्य के वन विभाग की अनुमति के बाद ही की जा सकेगी। मंत्री ने इस साल फरवरी में केशोपुर छम्ब में 5वें स्टेट बर्ड फेस्टिवल करवाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दी।