यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का निधन हो गया है. वे कई दिनों से बीमार चल रहे थे. लखनऊ के एसजीपीजीआई अस्पताल में कल्याण सिंह ने अंतिम सांस ली. कल्याण सिंह के निधन के बाद से ही तमाम राजनीतिक दलों से जुड़े नेता श्रद्धांजलि दे रहे हैं.
बात अगर उत्तराखंड की करें तो देवभूमि से भी उनका गहरा जुड़ाव था. कल्याण सिंह 1991, 1997-99 के बीच यूपी के सीएम रहे. ये वो दौर था जब उत्तराखंड, यूपी का हिस्सा हुआ करता था. कल्याण सिंह के निधन पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने श्रद्धांजलि दी है.
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लिखा ‘उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री एवं राजस्थान के निवर्तमान राज्यपाल हम सभी के मार्गदर्शक एवं प्रेरणास्रोत आदरणीय कल्याण सिंह जी के निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि’
केंद्रीय रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने भी कल्याण सिंह के निधन पर दुख जताया है. हरिद्वार लोकसभा सांसद रमेश पोखरियाल निशंक, कैबिनेट मंत्री रेखा आर्य, सतपाल महाराज, अरविंद पांडे, गणेश जोशी ने भी यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन पर शोक जताया है.
बता दें कल्याण सिंह के निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत कई नेताओं ने भी शोक व्यक्त किया है.
कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी. वे भारतीय जनता पार्टी के संस्थापक सदस्यों में से एक थे. अयोध्या के विवादित ढांचा के विंध्वस के समय वे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे. कल्याण सिंह भाजपा के कद्दावर नेताओं में से एक थे. कल्याण सिंह का जन्म 6 जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था.
कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर: कल्याण सिंह का जन्म पांच जनवरी 1932 को उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ. किसान परिवार में जन्मे कल्याण सिंह के बारे में उनके पिता तेजपाल लोधी और माता सीता देवी ने भी यह नहीं सोचा होगा कि उनका बेटा कभी इतना बड़ा बनेगा. कल्याण सिंह बचपन से ही जुझारू, संघर्षशील और हिंदुत्ववादी छवि के नेता रहे.
शिक्षा-दीक्षा के बाद शिक्षक बने कल्याण सिंह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े. फिर जनसंघ, जनता पार्टी, भारतीय जनता पार्टी से जुड़ते हुए मुख्यमंत्री और राज्यपाल बने. मुख्यमंत्री के रूप में सख्त प्रशासक की छवि वाले कल्याण सिंह ने राम मंदिर आंदोलन के जननायक के रूप में भी अपनी अलग पहचान बनाई थी.
पश्चिम उत्तर प्रदेश के युवा नेता कल्याण सिंह 30 वर्ष की उम्र में पहली बार अलीगढ़ की अतरौली विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ के टिकट पर चुनाव लड़े और हार गए, लेकिन उन्होंने प्रयास जारी रखा. दूसरी बार 1967 में उन्होंने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार को शिकस्त दी. वह लगातार जीत रहे थे, लेकिन 1980 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार अनवर खां ने उन्हें पराजित किया. इसके बाद भाजपा के टिकट पर कल्याण सिंह ने 1985 के विधानसभा चुनाव में फिर से जीत दर्ज की. तब से लेकर 2004 के विधानसभा चुनाव तक कल्याण सिंह अतरौली सीट से विधायक बनते रहे.
कल्याण सिंह का नाम ही काफी: कल्याण सिंह किसी भी पद पर वह रहे हों लेकिन उनकी खुद की पहचान उनका नाम ही काफी था. उत्तर प्रदेश में अगर कल्याण सिंह का नाम लिया जाता है तो वह राम जन्मभूमि आंदोलन के पुरोधा के रूप में लोगों को याद आते हैं. कल्याण सिंह को करीब से जानने वाले अलीगढ़ के रहने वाले वरिष्ठ पत्रकार अशोक राजपूत कहते हैं कि कल्याण सिंह बेहद ही सामान्य परिवार से थे. उन्होंने सबकुछ अपने प्रयासों से हासिल किया था. लोधी समाज में जन्मे कल्याण कब समूचे हिन्दू समाज के चहेते थे.