देश की राजधानी दिल्ली की सात लोकसभा सीटें (Lok Sabha seats) भाजपा (BJP) के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बनी हुई है। 25 मई को होने वाले मतदान के पहले पार्टी ने देशभर के सभी प्रमुख नेताओं (Main leaders) को दिल्ली में उतार कर धुआंधार प्रचार (Election Campaign) किया है। दिल्ली की बदली हुई डेमोग्राफी और यहां के मतदाताओं के विभिन्न राज्यों से जुड़े होने की वजह से पार्टी ने यह रणनीति अपनाई है। आधा दर्जन से ज्यादा मुख्यमंत्री, लगभग एक दर्जन केंद्रीय मंत्री, विभिन्न राज्यों के दर्जनों मंत्री के अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दो बड़ी रैलियों के साथ ही भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभाएं और रोड शो किए हैं।
दरअसल, दिल्ली में देश के हर कोने से आए लोग रहते हैं। यहां की बड़ी जनसंख्या दूसरे राज्यों से आई हुई है और उनको लुभाने के लिए पार्टी ने अपने विभिन्न राज्यों के नेताओं को चुनाव प्रचार में उतारा है। दक्षिण व पूर्वोत्तर भारत के नेताओं के अलावा हिंदी पट्टी के लगभग सभी बड़े नेता राजधानी की सड़कों और गलियों में घूमते नजर आए हैं। भाजपा के इस बड़े प्रचार अभियान की बड़ी वजह दिल्ली में इंडिया गठबंधन की मजबूती भी रही है। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का गठबंधन दिल्ली में मजबूती से काम कर रहा है और भाजपा ने एक को छोड़कर बाकी 6 सीटों पर नए चेहरों पर दांव लगाया है, दूसरी तरफ कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने भी रणनीति के मुताबिक उम्मीदवार उतारे हैं।
अरविंद केजरीवाल से जुड़ी घटनाओं ने चुनाव प्रचार को प्रभावित किया
आम आदमी पार्टी के नेता और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से जुड़ी घटनाओं ने भी यहां के चुनाव प्रचार को प्रभावित किया है। दिल्ली में राष्ट्रीय मुद्दों के साथ क्षेत्रीय मुद्दे और स्थानीय मुद्दे भी हावी रहते हैं। क्षेत्रीय मुद्दे इसलिए क्योंकि यहां की एक बड़ी आबादी विभिन्न क्षेत्रों से आई हुई है और वह अपने क्षेत्र की समस्याओं को लेकर भी चिंतित रहते हैं। भाजपा ने इसके पहले पिछले विधानसभा और नगर निगम चुनाव में भी इसी तरह का प्रयोग किया था, लेकिन इस बार उसने ज्यादा रणनीतिक ढंग से अपने नेताओं से चुनाव प्रचार कराया है।
कई राज्यों के मुख्यमंत्री कर रहे चुनाव प्रचार
भाजपा के प्रचार का मोर्चा संभालने वाले मुख्यमंत्रियों में हेमंत विश्व सरमा, मोहन यादव, योगी आदित्यनाथ, भजनलाल शर्मा, नायब सैनी, पुष्कर सिंह धामी, प्रमोद सावंत के अलावा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, देवेंद्र फडणवीस, दीया कुमारी आदि भी प्रचार मैदान में डटे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी जमकर प्रचार किया। शिवराज सिंह चौहान तो पांच दिन तक लगातार प्रचार करते रहे। प्रचार समाप्त होने के आखिरी दिन भाजपा ने मीडिया के सामने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी उतार दिया।
दिल्ली की तीन सीटों पर कड़ा मुकाबला
दिल्ली में तीन सीटों पर काफी कड़ा मुकाबला माना जा रहा है। इनमें पश्चिमी दिल्ली, उत्तर पूर्वी दिल्ली, पूर्वी दिल्ली और चांदनी चौक शामिल हैं। ऐसे में भाजपा जो पिछले दो चुनाव से लगातार सभी सात सीटें जीत रही है, इस बार भी सभी सीटों पर कब्जा कायम रखने की कोशिश में है। पार्टी अपने प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। भाजपा कार्यकर्ताओं के साथ संघ का भी एक बड़ा वर्ग इस दौरान जुटा रहा और उसने जमीनी स्तर पर भाजपा को काफी मदद पहुंचाई है।