चीन के लोगों के बारे में आपने अजीबोगरीब बातें सुनी होंगी, लेकिन आज हम जिस चीज के बारे में बताने जा रहे हैं, उसके बारे में शायद ही आपने कभी सुना होगा। हम बात कर रहे हैं चीन के एक गांव जिसिकियाओ की, जहां दुनिया के सबसे जहरीले सांप पैदा किए जाते हैं। इनमें किंग कोबरा, वाइपर और रैटल स्नेक जैसे एक से बढ़कर एक जहरीले सांप शामिल हैं।
बता दें कि चीन में हजारों सालों से परंपरागत चिकित्सा पर यकीन किया जाता रहा है। इस चिकित्सा के तहत जंगली जानवरों और पेड़-पौधों से किसी भी बीमारी के इलाज का दावा किया जाता है। सांप से स्किन डिसीज के इलाज का सबसे पहला जिक्र 100 A.D. में मिलता है। तब चीन में स्किन की गंभीर समस्या में मरीजों का इलाज सांप की त्वचा की लुगदी बनाकर उसे लगाकर किया जाता था।
स्किन की बीमारियों से बढ़ते-बढ़ते सांप को गंभीर बीमारियों जैसे कैंसर में भी इस्तेमाल किया जाने लगा। ऐसे ही सांप का जहर दिल के मरीज को दिया जाता है। माना जाता है कि सांप से तैयार दवा शराब पीने से पहले ली जाए तो लिवर पर शराब का असर नहीं होता है और पीने वाला हरदम स्वस्थ रहता है।
दवा के लिए सांपों के उपयोग को इसी बात से समझ सकते हैं कि साल 1918 में फैले स्पेनिश फ्लू के दौरान चीन में सांप के तेल से इसके इलाज का दावा किया गया। जल्दी ही ये बात पूरी दुनिया में फैल गई और चीन के व्यापारी भारी मात्रा में सांप के तेलों की सप्लाई करने लगे। बाद में ये दावा गलत साबित हुआ और यहां तक बात चली गई कि चीन के लोग सांप के तेल के नाम पर नकली चीजें बेचा करते थे।
मॉडर्न चीन में भी ट्रेडिशनल चिकित्सा के तहत सांपों का खूब उपयोग होता है। यही वजह है कि चीन के जिसिकियाओ गांव में बाकायदा सांपों की पैदावार शुरू हो गई, ठीक उसी तरह जैसे किसान अनाज उगाते हैं। जिसिकियाओ गांव चूंकि चीन में लगभग 90 प्रतिशत तक सांपों की जरूरत पूरा करता है इसलिए इसे स्नेक विलेज या सांपों का गांव भी कहते हैं।
साल 1980 से यहां ये काम शुरू हुआ और जल्द ही पूरी आबादी यही करने लगी। इससे पहले यहां के किसान जूट और कपास की खेती किया करते थे लेकिन ये काम उन्हें ज्यादा फायदेमंद लगा। ग्लोबल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक गांव में अभी लगभग 170 परिवार हैं, जो हर साल 30 लाख से ज्यादा सांपों की पैदावार करते हैं।
हर साल वसंत में इनका प्रजनन होता है और इन्हें पाल-पोसकर गांव वाले इन्हें सर्दियों की शुरुआत में बेच देते हैं। माना जाता है कि इस गांव से होकर सांप बड़े व्यापारियों के जरिए चीन के कोने-कोने में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, जर्मनी, रूस और साउथ कोरिया भी भेजे जाते हैं। चीन में रेस्त्रां में भी सूखे सांपों की डिश बड़े शौक से बेची जाती है। ये एग्जॉटिक फूड आइटम में आते हैं और बहुत ऊंची कीमत पर केवल पॉश होटलों में ही मिलते हैं।
कहा जाता है कि गांव के बुजुर्ग Yang Hongchang नामक शख्स को सबसे पहले सांपों को पैदा करने का खयाल आया था। अस्सी के दशक में उसने अपनी जमापूंजी लगाकर एक स्नेक फार्म बनाया और धीरे-धीरे गांववालों को भी ये काम सिखाया। अब गांव में तीन उद्देश्यों के लिए अलग-अलग तरीके से सांपों का प्रजनन होता है। एक हिस्से में सिर्फ वाइपर सांप पैदा किए जाते हैं ताकि उनका जहर बेचा जा सके। एक हिस्सा ऐसे सांपों की पैदावार के लिए है, जिनका मांस खाना पसंद किया जाता है और एक हिस्से में सांपों की स्किन, आंखों और ब्लैडर से दवा बनाने के लिए ब्रीडिंग कराई जाती है।
ऐसे होती है सांपों की खेती
रॉयटर्स के मुताबिक यहां स्नेक फार्म में लकड़ी और शीशे के छोटे-छोटे बक्सों में सांप पाले जाते हैं। जब सांप के बच्चे बड़े हो जाते हैं तो उन्हें प्लास्टिक की थैलियों में भरकर एक से दूसरी जगह ले जाया जाता है ताकि बढ़ने के लिए पूरा स्पेस मिल सके। सर्दियों की शुरुआत तक इनकी बढ़त पूरी हो चुकी होती है, तब इन्हें बूचड़खाने ले जाया जाता है, जहां सांपों की किस्म और उनके उनके इस्तेमाल के आधार पर अलग-अलग सेक्शन होते हैं। जहरीले सांपों का सबसे पहले जहर निकालकर लैब में संरक्षित करते हैं और फिर शरीर के दूसरे हिस्सों का इस्तेमाल होता है।