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केन्द्रीय कैबिनेट के खाली पदों को भरने की तेज हुई कवायद, कई राज्यों के शीर्ष नेता हैं तैयारी में

भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार 30 मई को अपने लगातार दूसरे कार्यकाल का दूसरा वर्ष पूरा करने जा रही है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कैबिनेट की उन खाली पदों को जल्द भरे जाने की संभावना है। हाल ही में कई राज्यों में बीजेपी के कुछ बड़े नेताओं ने पद छोड़े हैं। कई को राज्यसभा में जगह मिली को कई अभी इंतजार में हैं। कैबिनेट के अलावा लगभग दो साल खाली पड़े लोकसभा के उपाध्यक्ष के पद को भी भरे जाने की संभावना है। 25 मई, 2019 एम थंबीदुरई ने पद छोड़ दिया था। इस बात की काफी अटकलें हैं कि महामारी की पहली लहर के बाद कैबिनेट में फेरबदल हो सकता है। वर्तमान में चार मंत्रियों के पास मंत्रालयों का अतिरिक्त प्रभार है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के पास पर्यावरण के अलावा नवंबर 2019 से भारी उद्योगों का प्रभार भी है। इस पद की जिम्मेदारी पहले शिवसेना के अरविंद सावंत के पास थी।  महाराष्ट्र में बीजेपी से राह अलग होने के बाद इस्तीफा दे दिया था। केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल को लोक जनषक्ति पार्टी नेता रामविलास पासवान के निधन के बाद अक्टूबर में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। केवल आरपीआई के रामदास अठावले, एनडीए के सहयोगी, मंत्रिपरिषद में राज्य मंत्री हैं।

नरेंद्र सिंह तोमर जो पहले से ही तीन मंत्रालयों कृषि, ग्रामीण विकास और पंचायती राज को संभाल रहे थे। अकाली दल ने कृषि कानूनों को लेकर एनडीए छोड़ने का फैसला किया। इसके अलाना सितंबर में सुरेश अंगड़ी के निधन के बाद रेल राज्य मंत्री का पद भी खाली पड़ा है। केंद्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू को श्रीपद नाइक के बाद आयुष मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया था। जनवरी में एक सड़क दुर्घटना में घायल हो गए थे। मंत्रिपरिषद में वर्तमान में 21 कैबिनेट मंत्री हैं। स्वतंत्र प्रभार वाले नौ राज्य मंत्री हैं। इनमें राजकुमार सिंह, मनसुख मांडविया, जितेंद्र सिंह, रिजिजू, हरदीप पुरी और नाइक भी अतिरिक्त मंत्रालयों के साथ राज्य मंत्री हैं।

राज्य के मंत्रियों की कुल संख्या 23 है। सत्तारूढ़ दल ने 2019 से तीन सहयोगियों शिवसेना, अकाली दल और लोजपा को खो दिया है। नीतीश कुमार की जनता दल (यूनाइटेड) 2017 में एनडीए में फिर से शामिल हो गई लेकिन केंद्र में इसका प्रतिनिधित्व नहीं है। सरकार ने लोकसभा उपाध्यक्ष पद के लिए भी दो साल से किसी उम्मीदवार का प्रस्ताव नहीं रखा है। मार्च 1998 में जब अटल बिहारी वाजपेयी दूसरी बार पीएम बने तो कांग्रेस नेता पीएम सईद जिन्होंने 17 सितंबर 1998 को शपथ ली थी। उपसभापति का पद परंपरा के अनुसार एक विपक्षी दल के पास जाता है।