नाग पंचमी(Naag panchami) का त्योहार हर साल सावन मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि शुक्रवार(Friday) 13 अगस्त को पड़ रही है। इस दिन नागों की पूजा की जाती है, दरअसल ग्रहों के समान नागों को भी प्रभावशाली माना गाय है। मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नाग देवता के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा करने से सर्पदंश का भय नहीं रहता साथ ही ग्रहों का प्रतिकूल असर भी दूर होता है।
ये एक ऐसा दिन होता है जिस दिन लोग बिना डरे किसी भय के नाग देवता की पूजा करते हैं. दरअसल भविष्य पुराण और दूसरे कई पुराणों में नागों को देव रूप में बताया गया है। यह कहीं भगवान शिव के हार रूप में नजर आते हैं तो कहीं भगवान विष्णु की शैय्या रूप में। इतना ही नहीं सागर मंथन के समय नाग को महत्वपूर्ण भूमिका में रस्सी रूप में दिखाया गया है। पुराणों में तो कई दिव्य नाग और नागलोक तक का जिक्र किया गया है। इन्हीं कथाओं और मान्यताओं के कारण हिंदू धर्म में नागों को देवताओं के समान पूजनीय बताया गया है और पंचमी तिथि को नाग देवता को समर्पित किया गया है। इस दिन पूजा करने से घर में धन-धान्य की कमी नहीं रहती है.
1-नाग पंचमी के दिन नागों का पूजन किया जाता है। इस दिन प्रयास करें कि नागों को किसी भी तरह से परेशान न करें। बल्कि इस दिन नागों के संरक्षण का संकल्प लिया जाता है।
2- शास्त्रों के अनुसार नाग पंचमी के दिन भूमि की खुदाई नहीं की जाती है. ऐसा करनें सें मिट्टी या जमीन में सांपों के बिल या बांबी के टूटने का डर रहता है।
3- नाग पंचमी के दिन साग नहीं काटना चाहिए। सावन के महीनें में साग और पत्तेदार सब्जियों में कृमी या कीड़े पड़ जाते हैं इसलिए सावन में साग नहीं खाना चाहिए।
4- नाग पंचमी के दिन खेत की जुताई या हल नहीं चलाना चाहिए। ऐसा करने से सांप के मरने का डर होता है।
5- नाग पंचमी के दिन लोहे की कड़ाही और तावे में भोजन नहीं बनाना चाहिए।
6- नाग पंचमी पर नागों को दूध से नहलाने का विधान है न कि दूध पिलाने का। वैज्ञानिक शोध से सिद्ध हो चुका है कि नाग और सर्पों में दूध पचाने की ग्रंथि नहीं होती है इसलिए दूध नागों के लिए हानिकारक होता है।
नाग पंचमी का महत्व
कुंडली में अगर कालसर्प योग, ग्रहण योग, गुरु चांडाल योग आदि अशुभ योग पाए जाते हैं तो नाग पंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करके इन दोषों से मुक्ति पा सकते हैं। कालसर्प दोष से मुक्ति के लिए इस दिन भारत के विभिन्न तीर्थ स्थलों पर नाग देवता की पूजा आराधना की जाती है। कई लोग इस दिन नाग को दूध पिलाकर नाग देवता से रक्षा की कामना करते हैं। नागपंचमी के दिन नागों की पूजा के साथ ऋषि आस्तिक के जन्म की कथा और सर्प यज्ञ की कथा पढने से भी नाग देवता प्रसन्न होते हैं। इस दिन घर के मुख्य द्वार पर दोनों ओर गाय के गोबर से नाग का चित्र बनाने से भी नाग दंश का भय दूर होता है ऐसी मान्यताएं कहती हैं।