एकनाथ शिंदे के बागी तेवर ने महाराष्ट्र की सरकार बदल दी। उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ गई। इस बीच शिंदे गुट के नेता और पूर्व मंत्री रामदास कदंब ने दावा किया है कि उद्धव और आदित्य ठाकरे को छोड़कर पूरी की पूरी शिवसेना बीजेपी में जाने के लिए तैयारी बैठी थी। उन्होंने शिवसेना सुप्रीमो पर बालासाहेब ठाकरे के आदर्शों को मानने के बजाय शरद पवार की बात मानने का भी आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा, ”अजीत पवार सुबह सात बजे मंत्रालय में बैठते थे। शरद पवार सुबह छह बजे से काम शुरू कर देते थे। उन्होंने मंत्रालय में बैठकर एनसीपी के कई पूर्व विधायकों को करोड़ों रुपये का फंड दिया। वह एनसीपी का मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे।”
कदम ने कहा कि उद्धव ठाकरे भी सुनने को तैयार नहीं थे। शिवसेना के सभी विधायक बीजेपी में जा रहे थे। उन्होंने यह भी दावा किया एकनाथ शिंदे के कारण ही बालासाहेब की शिवसेना बची है।
रामदास कदम ने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे मराठों से नफरत करते हैं। वह केवल मराठा नेताओं का इस्तेमाल किया गया था। उन्हें आगे बढ़ने वाले मराठा आदमी पसंद नहीं है। उन्होंने यह भी का कि जहां-जहां उद्धव ठाकरे और आदित्य ठाकरे सभा करेंगे, वहां जाकर रामदास कदम की भी सभा होगी। असली देशद्रोही कौन? असली धोखेबाज कौन है? लोगों को सच बताऊंगा। मैं हर जिले में जाऊंगा। उन्होंने कहा, ”मुझे 3 साल तक बोलने नहीं दिया गया। वे खुद को मालिक और बाकी को नौकर समझते हैं। बालासाहेब सभी नेताओं से बात करते थे। चर्चा करते थे और तब निर्णय लेते थे।”
मातोश्री से मुझे हराने का आदेश
रामदास कदम ने कहा, ”मातोश्री के एक शिवसेना नेता को गुहागर में मुझे हराने का आदेश दिया गया था। समय आने पर नाम लूंगा। भूकंप आएगा। मैं बेखबर रहा। पिछले 2 दिनों में मुझे पता चला। मैं हार गया था। लेकिन शिवसेना प्रमुख ने मुझे विधान परिषद का मौका दिया। मेरे भाषण को उनके भाषण से ज्यादा तालियां मिलती हैं।” रामदास कदम ने उद्धव ठाकरे पर असुरक्षित महसूस करने का आरोप लगाया।
शिवसेना प्रमुख के विचारों को नहीं मानते उद्धव ठाकरे
रामदास कदम ने रत्नागिरी में आगे कहा, ‘आज बालासाहेब के विचारों पर सही मायनों में एकनाथ शिंदे चल रहे हैं। जबकि शरद पवार के विचारों पर उद्धव ठाकरे चल रहे हैं। बालासाहेब ठाकरे के विचारों से बेईमानी करने और उनकी पीठ में खंजर घोपने का काम उद्धव ठाकरे ने किया है। मुझे लगता है इस मामले में एकनाथ शिंदे और मेरे विचारों में कोई अंतर नहीं होगा। आज एकनाथ शिंदे ही सही मायने में बालासाहेब के विचारों पर काम कर रहे हैं। मैं एकनाथ जी के बारे में बोलता रहूंगा।’