उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में पलायन रोकने और स्वरोजगार व पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए युवाओं ने होमस्टे को बढ़ावा दे रहे हैं.स्थानीय युवा अपने घरों को होमस्टे बनाकर अन्य युवाओं को भी रोजगार देने का काम कर रहे हैं. इससे एक तो पलायन रुक रहा है. दूसरा स्वरोजगार को भी बढ़ावा मिल रहा है और देश और विदेश से आने वाले पर्यटक इन होमस्टे में रहना पसंद कर रहे हैं. जिले के विभिन्न क्षेत्रों में इस समय बेरोजगार युवा होमस्टे को बढ़ावा दे रहे हैं.
उत्तरकाशी जनपद में रैथल,बारसू भटवाड़ी ,क्षेत्रपाल जैसे ग्रामीण क्षेत्रों में होमस्टे चला रहे हैं और यहां पर देश विदेश से पर्यटक भी आ रह रहे हैं. यहां के रैथल और लक्षेश्वर के क्षेत्रपाल के रहने वाले सत्येंद्र पवार और पृथ्वी राणा ने अपने पैतृक घर को होमस्टे बनाकर अपने साथ 20 से 25 युवाओं को जोड़कर रोजगार देने का काम कर रहे हैं. पहले ये लोग देश के अन्य राज्यों में काम करते थे, लेकिन जब घर लौटे और देखा कि यहां पर सभी संसाधन है, जिससे रोजगार उपलब्ध हो सकते हैं तो हम अन्य राज्यों में क्यों पलायन करें. बस इसी को देखते हुए इन लोगों ने अपने पुराने पैतृक घर को होमस्टे बनाकर बैंकों से ऋण लेकर होमस्टे चला रहे हैं.
विदेशी पर्यटकों को भा रहा होमस्टे
साथ ही अच्छा खासा पैसा भी कमा रहे हैं. देश विदेश से जो पर्यटक यहां पर आ रहे हैं. उनको भी यहां के होमस्टे और घर का बना हुआ खाना काफी पसंद आ रहा हैं.रसिया से आए विदेशी पर्यटक ओल्गा और दिमा का कहना है कि है यहां पर जो होमस्टे बने हुए हैं. वह काफी अच्छे है और इससे भी अच्छा है पहाड़ी खाना जो यहां पर घर की महिलाएं बनाकर खाना खिलाती हैं, जिसमें पहाड़ी स्वाद है यहां पर आकर स्वर्ग की अनुभूति होती है.
बता दें कि सरकार की होम स्टे योजना राज्य में खूब फल फूल रही है. 2017 में उत्तराखंड सरकार ने इस योजना को प्रयोग के तौर पर शुरू किया था. यह योजना रिवर्स माइग्रेन का भी बड़ा कारण बनी. खासकर कोरोना काल में वापस लौटे तमाम लोगों ने वापसी की बजाए अपने गांव मे ही रहना उचित समझा और होमस्टे के जरिए खुद का रोजगार विकसित कर लिया. सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर की माने तो अब तक उत्तराखंड में चार हजार होमस्टे तैयार हो चुके हैं. बाहर से आनेवाले लोगों के ठहरने के लिए घर जैसा माहौल खासा पसंद आ रहा है.