टीम इंडिया का इस साल वनडे में अब तक प्रदर्शन शानदार रहा है. वेस्टइंडीज के खिलाफ भारत ने साल की लगातार तीसरी वनडे सीरीज जीती है. इससे पहले, भारत ने इंग्लैंड को उसी के घर में और फरवरी में कैरेबियाई टीम को ही भारत में हुई सीरीज में क्लीन स्वीप किया था. बस, दक्षिण अफ्रीका दौरे पर भारत को वनडे सीरीज गंवानी पड़ी. अनुभवी खिलाड़ियों के अलावा युवाओं को भी जब-जब खेलने का मौका मिला, उन्होंने अपने प्रदर्शन से इस बात को साबित किया कि टीम इंडिया का बेंच स्ट्रेंथ काफी मजबूत है. वेस्टइंडीज के खिलाफ हालिया वनडे सीरीज भी इस बात का सबूत है.
भारतीय टीम भले ही इस साल लगातार 3 वनडे सीरीज जीत चुकी है. लेकिन, मिडिल ऑर्डर में बल्लेबाजी अब भी टीम की परेशानी बढ़ा रही है. वेस्टइंडीज के खिलाफ रविवार को हुए दूसरे वनडे में भारत ने 11 से 40 ओवर में 170 रन बनाए, लेकिन इसके साथ 5 विकेट भी गंवाए. पहले वनडे में, इसी अवधि में टीम इंडिया ने 4 विकेट खोकर 175 रन जोड़े थे. इस साल अगर मिडिल ओवर (11 से 40) में अगर प्रदर्शन की बात करें तो भारत ने औसतन हर पारी में मिडिल ओवर में 4.18 विकेट गंवाए हैं. इस साल खेले गए 11 वनडे में भारत ने बीच के ओवर में कुल 46 विकेट गंवाए हैं. आईसीसी के फुलटाइम मेंबर देशों में केवल वेस्टइंडीज (5.29), ऑस्ट्रेलिया (5.25) और जिम्बाब्वे (5) का प्रदर्शन ही वनडे में बीच के ओवर में भारत से खराब रहा है.
वर्ल्ड कप से पहले कमजोरी को दूर करना जरूरी
ऐसे में टीम इंडिया को अगले साल होने वाले वनडे विश्व कप से पहले दूर करना होगा. इसमें विराट कोहली जैसे बल्लेबाजों का फॉर्म में आना जरूरी है, क्योंकि वो भारतीय मिडिल ऑर्डर की अहम कड़ी है. अगर उनका बल्ला चलता है तो फिर नंबर 4,5 और 6 पर आने वाले बल्लेबाजों पर खुद ब खुद दबाव हट जाता है और वो खुलकर बल्लेबाजी कर पाते हैं. इंग्लैंड के खिलाफ हाल ही में खत्म हुई वनडे सीरीज में भी यह नजर आया था. भारत इस सीरीज का दूसरा वनडे हार गया था, क्योंकि इस मैच में विराट समेत टॉप-3 बल्लेबाज महज 25 रन ही जोड़ पाए थे. इसी वजह से मिडिल ऑर्डर पर दबाव आ गया और रनगति बनाए रखने के चक्कर में भारतीय टीम 247 रन के लक्ष्य का पीछा भी नहीं कर पाई थी.