आपदाग्रस्त इलाकों में पहुंचकर बिना बिजली, बिना नेटवर्क 24 घंटे तक क्षेत्र का पूरा असेसमेंट कर सकने वाले नभनेत्र वाहन के पहिये जाम हैं। इसे तैयार करने वाला आईटीडीए तकनीकी खराबी के लिए आपदा प्रबंधन से बजट मांगा था, जो नहीं मिला। इससे यह वाहन आईटी पार्क स्थित उत्तराखंड राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के परिसर में धूल फांक रहा है।
वर्ष 2022 में आईटीडीए ने आपदा प्रबंधन विभाग के लिए ऐसा वाहन नभनेत्र तैयार किया था, जो आपदा के समय वरदान साबित हो सकता है। उत्तर भारत में केवल उत्तराखंड आपदा प्रबंधन के पास ऐसी तकनीक थी, जिससे बिना नेटवर्क और बिना पावर सप्लाई के 24 घंटे से ज्यादा किसी आपदा प्रभावित क्षेत्र में ड्रोन ऑपरेशन से ऑनसाइट डाटा असेसमेंट किया जा सकता था।
इसकी लाइव फीड भी टेलीकास्ट की जा सकती थी। करीब एक करोड़ 10 लाख रुपये कीमत से तैयार इस मोबाइल ग्राउंड कंट्रोल स्टेशन में पावर बैकअप, सेटेलाइट कनेक्शन, एक 360 कैमरा वाहन के ऊपर और अत्याधुनिक तकनीक वाला ड्रोन मौजूद था। नभनेत्र में दो से ढाई किलो वजन ले जाने वाला ड्रोन ऑपरेशन एरिया से करीब 500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता था।ड्रोन पर जीपीएस व थर्मल सेंसर, नाइट विजन के साथ ही एक हाई डेफिनेशन कैमरा भी लगाया गया था।
प्रभावित क्षेत्र की रियल टाइम मैपिंग के साथ ही इसके थर्मल कैमरे से जीवित व मृत व्यक्तियों की तलाश भी आसान थी। यह सेटेलाइट से जुड़ने में सक्षम था। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने 17 जून 2022 को इसका शुभारंभ किया था।
तकनीकी खराबी से पहिये जाम
आईटीडीए की निदेशक नितिका खंडेलवाल का कहना है कि नभनेत्र में तकनीकी खराबी दूर करने के लिए आपदा प्रबंधन से बजट की मांग की गई थी। बाद में आपदा प्रबंधन ने इस वाहन को अपने कार्यालय में ही मंगा लिया था। सचिव आपदा प्रबंधन विनोद कुमार सुमन ने मामले को समझते हुए आगे की कार्रवाई करने को कहा।