स्टार्टअप को वित्तीय मदद देने के लिए प्रदेश सरकार ने 200 करोड़ का वेंचर फंड बना लिया है, लेकिन इस फंड के क्रियान्वयन के लिए न नियमावली बनी और न ही बड़ा निवेशक तय हो पाया है। प्रदेश सरकार से 170 स्टार्टअप मान्यता प्राप्त हैं, जबकि केंद्र सरकार में एक हजार पंजीकृत हैं।
बीते वर्ष प्रदेश सरकार ने नई स्टार्टअप नीति को कैबिनेट से मंजूरी दी। इसके साथ ही स्टार्टअप के सामने आने वाले वित्तीय संकट को दूर करने के लिए 200 करोड़ का वेंचर फंड बनाने का निर्णय लिया। उस वेंचर फंड की अब तक नियमावली तैयार नहीं हो पाई है। वेंचर फंड को संचालित करने के लिए निजी निवेशक का भी चयन नहीं हो पाया है।
स्टार्टअप के सामने कारोबार शुरू करने के लिए सबसे बड़ी समस्या पूंजी निवेश की रहती है। इसके लिए स्टार्टअप को एंजल इन्वेस्टर्स के चक्कर लगाने पड़ते हैं। एंजल निवेशक की स्टार्टअप के आइडिया में कारोबार की संभावना को देखते हुए निवेश करते हैं।
वेंचर फंड की नियमावली व संचालन के लिए मुख्य सचिव स्तर पर बैठक भी हो चुकी है, लेकिन इस पर निर्णय नहीं हो पाया है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक, वेंचर फंड की नियमावली का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है। नियमावली व निजी निवेशक तय नहीं होने के बाद ही स्टार्टअप को वेंचर फंड से वित्तीय मदद मिल सकती है।